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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 095
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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कुष्ठौषधिः।
१-३ भृग्वङ्गिराः। वनस्पतिः। अनुष्टुप्।
अ॒श्व॒त्थो दे॑व॒सद॑नस्तृ॒तीय॑स्यामि॒तो दि॒वि।
तत्रा॒मृत॑स्य॒ चक्ष॑णं दे॒वाः कुष्ठ॑मवन्वत ॥१॥
हि॒र॒ण्ययी॒ नौर॑चर॒द्धिर॑ण्यबन्धना दि॒वि।
तत्रा॒मृत॑स्य॒ पुष्पं॑ दे॒वाः कुष्ठ॑मवन्वत ॥२॥
गर्भो॑ अ॒स्योष॑धीनां॒ गर्भो॑ हि॒मव॑तामु॒त।
गर्भो॒ विश्व॑स्य भू॒तस्ये॒मं मे॑ अग॒दं कृ॑धि ॥३॥