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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 068
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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वपनम्।
१-३ अथर्वा। १ सविता, आदित्याः, रुद्राः, वसवः, २ अदितिः, आपः, प्रजापतिः, ३ सविता, सोमः, वरुणः। १ पुरोविराडतिशाक्वरगर्भा चतुष्पदा जगती, २ अनुष्टुप्, ३ अतिजगतीगर्भा त्रिष्टुप्।
आयम॑गन्त्सवि॒ता क्षु॒रेणो॒ष्णेन॑ वाय उद॒केनेहि॑ ।
आ॒दि॒त्या रु॒द्रा वस॑व उन्दन्तु॒ सचे॑तसः॒ सोम॑स्य॒ राज्ञो॑ वपत॒ प्रचे॑तसः ॥१॥
अदि॑तिः॒ श्मश्रु॑ वप॒त्वाप॑ उन्दन्तु॒ वर्च॑सा ।
चिकि॑त्सतु प्र॒जाप॑तिर्दीर्घायु॒त्वाय॒ चक्ष॑से ॥२॥
येनाव॑पत् सवि॒ता क्षु॒रेण॒ सोम॑स्य॒ राज्ञो॒ वरु॑णस्य वि॒द्वान्।
तेन॑ ब्रह्माणो वपते॒दम॒स्य गोमा॒नश्व॑वान॒यम॑स्तु प्र॒जावा॑न्॥३॥