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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 067
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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शत्रुनाशनम्।
१-३ अथर्वा। इन्द्रः। अनुष्टुप्।
परि॒ व॑र्त्मा॑नि स॒र्वत॒ इन्द्रः॑ पू॒षा च॑ सस्रतुः ।
मुह्य॑न्त्व॒द्यामूः सेना॑ अ॒मित्रा॑णां परस्त॒राम्॥१॥
मू॒ढा अ॒मित्रा॑श्चरताशी॒र्षाण॑ इ॒वाहयः॑ ।
तेषां॑ वो अ॒ग्निमू॑ढाना॒मिन्द्रो॑ हन्तु॒ वरं॑वरम्॥२॥
ऐषु॑ नह्य॒ वृषा॒जिनं॑ हरि॒णस्या॒ भियं॑ कृधि ।
परा॑ङ॒मित्र॒ एष॑त्व॒र्वाची॒ गौरुपे॑षतु ॥३॥