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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 025
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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मन्याविनाशनम्
१-३ शुनःशेपः। मन्याविनाशनम्। अनुष्टुप्।
पञ्च॑ च॒ याः प॑ञ्चा॒शच्च॑ सं॒यन्ति॒ मन्या॑ अ॒भि।
इ॒तस्ताः सर्वा॑ नश्यन्तु वा॒का अ॑प॒चिता॑मिव ॥१॥
स॒प्त च॒ याः स॑प्त॒तिश्च॑ सं॒यन्ति॒ ग्रैव्या॑ अ॒भि।
इ॒तस्ताः सर्वा॑ नश्यन्तु वा॒का अ॑प॒चिता॑मिव ॥२॥
नव॑ च॒ या न॑व॒तिश्च॑ सं॒यन्ति॒ स्कन्ध्या॑ अ॒भि।
इ॒तस्ताः सर्वा॑ नश्यन्तु वा॒का अ॑प॒चिता॑मिव ॥३॥