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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 017
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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गर्भदृंहणम्।
१-४ अथर्वा। गर्भदृंहणम्, पृथिवि। अनुष्टुप्।
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही भू॒तानां॒ गर्भ॑माद॒धे।
ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥१॥
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही दा॒धारे॒मान् वन॒स्पती॑न्।
ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥२॥
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही दा॒धार॒ पर्व॑तान् गि॒रीन्।
ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥३॥
यथे॒यं पृ॑थि॒वी म॒ही दा॒धार॒ विष्ठि॑तं॒ जग॑त्।
ए॒वा ते॑ ध्रियतां॒ गर्भो॒ अनु॒ सूतुं॒ सवि॑तवे ॥४॥