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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 093
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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स्वस्त्ययनम्।
१-३ शन्तातिः। रुद्रः, १ यमो, मृत्युः, शर्वः, २ भवः, शर्वः
३ विश्वे देवाः, मरुतः, अग्नीषोमौ, वरुणः, वातपर्जन्यौ। त्रिष्टुप्।
य॒मो मृ॒त्युर॑घमा॒रो नि॑रृ॒थो ब॒भ्रुः श॒र्वोऽस्ता॒ नील॑शिखण्डः ।
दे॒व॒ज॒नाः सेन॑योत्तस्थि॒वांस॒स्ते अ॒स्माकं॒ परि॑ वृञ्जन्तु वी॒रान्॥१॥
मन॑सा॒ होमै॒र्हर॑सा घृ॒तेन॑ श॒र्वायास्त्र॑ उ॒त राज्ञे॑ भ॒वाय॑ ।
न॒म॒स्येऽभ्यो॒ नम॑ एभ्यः कृणोम्य॒न्यत्रा॒स्मद॒घवि॑षा नयन्तु ॥२॥
त्राय॑ध्वं नो अ॒घवि॑षाभ्यो व॒धाद् विश्वे॑ देवा मरुतो विश्ववेदसः ।
अ॒ग्नीषोमा॒ वरु॑णः पू॒तद॑क्षा वातापर्ज॒न्ययोः॑ सुम॒तौ स्या॑म ॥३॥