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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 06 Sukta 044
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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रोगनाशनम्।
१-३ विश्वामित्रः। वनस्पतिः। अनुष्टुप्, ३ त्रिपदा महाबृहती।
अस्था॒द् द्यौरस्था॑त् पृथि॒व्यस्था॒द् विश्व॑मि॒दं जग॑त्।
अस्थु॑र्वृ॒क्षा ऊ॒र्ध्वस्व॑प्ना॒स्तिष्ठा॒द् रोगो॑ अ॒यं तव॑ ॥१॥
श॒तं या भे॑ष॒जानि॑ ते स॒हस्रं॒ संग॑तानि च ।
श्रेष्ठ॑मास्रावभेष॒जं वसि॑ष्ठं रोग॒नाश॑नम्॥२॥
रु॒द्रस्य॒ मूत्र॑मस्य॒मृत॑स्य॒ नाभिः॑ ।
वि॒षा॒ण॒का नाम॒ वा अ॑सि पितॄ॒णां मूला॒दुत्थि॑ता वातीकृत॒नाश॑नी ॥३॥