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SELECT SUKTA OF MANDALA 09
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 102
A
A+
८ त्रित आप्त्य: । पवमान: सोम: । उष्णिक् ।
क्रा॒णा शिशु॑र्म॒हीनां॑ हि॒न्वन्नृ॒तस्य॒ दीधि॑तिम् । विश्वा॒ परि॑ प्रि॒या भु॑व॒दध॑ द्वि॒ता ॥१॥
उप॑ त्रि॒तस्य॑ पा॒ष्यो॒३रभ॑क्त॒ यद्गुहा॑ प॒दम् । य॒ज्ञस्य॑ स॒प्त धाम॑भि॒रध॑ प्रि॒यम् ॥२॥
त्रीणि॑ त्रि॒तस्य॒ धार॑या पृ॒ष्ठेष्वेर॑या र॒यिम् । मिमी॑ते अस्य॒ योज॑ना॒ वि सु॒क्रतु॑: ॥३॥
ज॒ज्ञा॒नं स॒प्त मा॒तरो॑ वे॒धाम॑शासत श्रि॒ये । अ॒यं ध्रु॒वो र॑यी॒णां चिके॑त॒ यत् ॥४॥
अ॒स्य व्र॒ते स॒जोष॑सो॒ विश्वे॑ दे॒वासो॑ अ॒द्रुह॑: । स्पा॒र्हा भ॑वन्ति॒ रन्त॑यो जु॒षन्त॒ यत् ॥५॥
यमी॒ गर्भ॑मृता॒वृधो॑ दृ॒शे चारु॒मजी॑जनन् । क॒विं मंहि॑ष्ठमध्व॒रे पु॑रु॒स्पृह॑म् ॥६॥
स॒मी॒ची॒ने अ॒भि त्मना॑ य॒ह्वी ऋ॒तस्य॑ मा॒तरा॑ । त॒न्वा॒ना य॒ज्ञमा॑नु॒षग्यद॑ञ्ज॒ते ॥७॥
क्रत्वा॑ शु॒क्रेभि॑र॒क्षभि॑ॠ॒णोरप॑ व्र॒जं दि॒वः । हि॒न्वन्नृ॒तस्य॒ दीधि॑तिं॒ प्राध्व॒रे ॥८॥
क्रा॒णा शिशु॑र्म॒हीनां॑ हि॒न्वन्नृ॒तस्य॒ दीधि॑तिम् । विश्वा॒ परि॑ प्रि॒या भु॑व॒दध॑ द्वि॒ता ॥१॥
उप॑ त्रि॒तस्य॑ पा॒ष्यो॒३रभ॑क्त॒ यद्गुहा॑ प॒दम् । य॒ज्ञस्य॑ स॒प्त धाम॑भि॒रध॑ प्रि॒यम् ॥२॥
त्रीणि॑ त्रि॒तस्य॒ धार॑या पृ॒ष्ठेष्वेर॑या र॒यिम् । मिमी॑ते अस्य॒ योज॑ना॒ वि सु॒क्रतु॑: ॥३॥
ज॒ज्ञा॒नं स॒प्त मा॒तरो॑ वे॒धाम॑शासत श्रि॒ये । अ॒यं ध्रु॒वो र॑यी॒णां चिके॑त॒ यत् ॥४॥
अ॒स्य व्र॒ते स॒जोष॑सो॒ विश्वे॑ दे॒वासो॑ अ॒द्रुह॑: । स्पा॒र्हा भ॑वन्ति॒ रन्त॑यो जु॒षन्त॒ यत् ॥५॥
यमी॒ गर्भ॑मृता॒वृधो॑ दृ॒शे चारु॒मजी॑जनन् । क॒विं मंहि॑ष्ठमध्व॒रे पु॑रु॒स्पृह॑म् ॥६॥
स॒मी॒ची॒ने अ॒भि त्मना॑ य॒ह्वी ऋ॒तस्य॑ मा॒तरा॑ । त॒न्वा॒ना य॒ज्ञमा॑नु॒षग्यद॑ञ्ज॒ते ॥७॥
क्रत्वा॑ शु॒क्रेभि॑र॒क्षभि॑ॠ॒णोरप॑ व्र॒जं दि॒वः । हि॒न्वन्नृ॒तस्य॒ दीधि॑तिं॒ प्राध्व॒रे ॥८॥