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SELECT SUKTA OF MANDALA 09
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 104
A
A+
६ पर्वतनारदौ काण्वौ, काश्यप्यौ शिखण्डिन्यावप्सरसौ वा । पवमान: सोम: । उष्णिक् ।
सखा॑य॒ आ नि षी॑दत पुना॒नाय॒ प्र गा॑यत । शिशुं॒ न य॒ज्ञैः परि॑ भूषत श्रि॒ये ॥१॥
समी॑ व॒त्सं न मा॒तृभि॑: सृ॒जता॑ गय॒साध॑नम् । दे॒वा॒व्यं१ मद॑म॒भि द्विश॑वसम् ॥२॥
पु॒नाता॑ दक्ष॒साध॑नं॒ यथा॒ शर्धा॑य वी॒तये॑ । यथा॑ मि॒त्राय॒ वरु॑णाय॒ शंत॑मः ॥३॥
अ॒स्मभ्यं॑ त्वा वसु॒विद॑म॒भि वाणी॑रनूषत । गोभि॑ष्टे॒ वर्ण॑म॒भि वा॑सयामसि ॥४॥
स नो॑ मदानां पत॒ इन्दो॑ दे॒वप्स॑रा असि । सखे॑व॒ सख्ये॑ गातु॒वित्त॑मो भव ॥५॥
सने॑मि कृ॒ध्य१स्मदा र॒क्षसं॒ कं चि॑द॒त्रिण॑म् । अपादे॑वं द्व॒युमंहो॑ युयोधि नः ॥६॥
सखा॑य॒ आ नि षी॑दत पुना॒नाय॒ प्र गा॑यत । शिशुं॒ न य॒ज्ञैः परि॑ भूषत श्रि॒ये ॥१॥
समी॑ व॒त्सं न मा॒तृभि॑: सृ॒जता॑ गय॒साध॑नम् । दे॒वा॒व्यं१ मद॑म॒भि द्विश॑वसम् ॥२॥
पु॒नाता॑ दक्ष॒साध॑नं॒ यथा॒ शर्धा॑य वी॒तये॑ । यथा॑ मि॒त्राय॒ वरु॑णाय॒ शंत॑मः ॥३॥
अ॒स्मभ्यं॑ त्वा वसु॒विद॑म॒भि वाणी॑रनूषत । गोभि॑ष्टे॒ वर्ण॑म॒भि वा॑सयामसि ॥४॥
स नो॑ मदानां पत॒ इन्दो॑ दे॒वप्स॑रा असि । सखे॑व॒ सख्ये॑ गातु॒वित्त॑मो भव ॥५॥
सने॑मि कृ॒ध्य१स्मदा र॒क्षसं॒ कं चि॑द॒त्रिण॑म् । अपादे॑वं द्व॒युमंहो॑ युयोधि नः ॥६॥