SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 089
A
A+
७ उशना काव्य: । पवमान: सोम: । त्रिष्टुप् ।
प्रो स्य वह्नि॑: प॒थ्या॑भिरस्यान्दि॒वो न वृ॒ष्टिः पव॑मानो अक्षाः ।
स॒हस्र॑धारो असद॒न्न्य१स्मे मा॒तुरु॒पस्थे॒ वन॒ आ च॒ सोम॑: ॥१॥
राजा॒ सिन्धू॑नामवसिष्ट॒ वास॑ ऋ॒तस्य॒ नाव॒मारु॑ह॒द्रजि॑ष्ठाम् ।
अ॒प्सु द्र॒प्सो वा॑वृधे श्ये॒नजू॑तो दु॒ह ईं॑ पि॒ता दु॒ह ईं॑ पि॒तुर्जाम् ॥२॥
सिं॒हं न॑सन्त॒ मध्वो॑ अ॒यासं॒ हरि॑मरु॒षं दि॒वो अ॒स्य पति॑म् ।
शूरो॑ यु॒त्सु प्र॑थ॒मः पृ॑च्छते॒ गा अस्य॒ चक्ष॑सा॒ परि॑ पात्यु॒क्षा ॥३॥
मधु॑पृष्ठं घो॒रम॒यास॒मश्वं॒ रथे॑ युञ्जन्त्युरुच॒क्र ऋ॒ष्वम् ।
स्वसा॑र ईं जा॒मयो॑ मर्जयन्ति॒ सना॑भयो वा॒जिन॑मूर्जयन्ति ॥४॥
चत॑स्र ईं घृत॒दुह॑: सचन्ते समा॒ने अ॒न्तर्ध॒रुणे॒ निष॑त्ताः ।
ता ई॑मर्षन्ति॒ नम॑सा पुना॒नास्ता ईं॑ वि॒श्वत॒: परि॑ षन्ति पू॒र्वीः ॥५॥
वि॒ष्ट॒म्भो दि॒वो ध॒रुण॑: पृथि॒व्या विश्वा॑ उ॒त क्षि॒तयो॒ हस्ते॑ अस्य ।
अस॑त्त॒ उत्सो॑ गृण॒ते नि॒युत्वा॒न्मध्वो॑ अं॒शुः प॑वत इन्द्रि॒याय॑ ॥६॥
व॒न्वन्नवा॑तो अ॒भि दे॒ववी॑ति॒मिन्द्रा॑य सोम वृत्र॒हा प॑वस्व ।
श॒ग्धि म॒हः पु॑रुश्च॒न्द्रस्य॑ रा॒यः सु॒वीर्य॑स्य॒ पत॑यः स्याम ॥७॥
प्रो स्य वह्नि॑: प॒थ्या॑भिरस्यान्दि॒वो न वृ॒ष्टिः पव॑मानो अक्षाः ।
स॒हस्र॑धारो असद॒न्न्य१स्मे मा॒तुरु॒पस्थे॒ वन॒ आ च॒ सोम॑: ॥१॥
राजा॒ सिन्धू॑नामवसिष्ट॒ वास॑ ऋ॒तस्य॒ नाव॒मारु॑ह॒द्रजि॑ष्ठाम् ।
अ॒प्सु द्र॒प्सो वा॑वृधे श्ये॒नजू॑तो दु॒ह ईं॑ पि॒ता दु॒ह ईं॑ पि॒तुर्जाम् ॥२॥
सिं॒हं न॑सन्त॒ मध्वो॑ अ॒यासं॒ हरि॑मरु॒षं दि॒वो अ॒स्य पति॑म् ।
शूरो॑ यु॒त्सु प्र॑थ॒मः पृ॑च्छते॒ गा अस्य॒ चक्ष॑सा॒ परि॑ पात्यु॒क्षा ॥३॥
मधु॑पृष्ठं घो॒रम॒यास॒मश्वं॒ रथे॑ युञ्जन्त्युरुच॒क्र ऋ॒ष्वम् ।
स्वसा॑र ईं जा॒मयो॑ मर्जयन्ति॒ सना॑भयो वा॒जिन॑मूर्जयन्ति ॥४॥
चत॑स्र ईं घृत॒दुह॑: सचन्ते समा॒ने अ॒न्तर्ध॒रुणे॒ निष॑त्ताः ।
ता ई॑मर्षन्ति॒ नम॑सा पुना॒नास्ता ईं॑ वि॒श्वत॒: परि॑ षन्ति पू॒र्वीः ॥५॥
वि॒ष्ट॒म्भो दि॒वो ध॒रुण॑: पृथि॒व्या विश्वा॑ उ॒त क्षि॒तयो॒ हस्ते॑ अस्य ।
अस॑त्त॒ उत्सो॑ गृण॒ते नि॒युत्वा॒न्मध्वो॑ अं॒शुः प॑वत इन्द्रि॒याय॑ ॥६॥
व॒न्वन्नवा॑तो अ॒भि दे॒ववी॑ति॒मिन्द्रा॑य सोम वृत्र॒हा प॑वस्व ।
श॒ग्धि म॒हः पु॑रुश्च॒न्द्रस्य॑ रा॒यः सु॒वीर्य॑स्य॒ पत॑यः स्याम ॥७॥