SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 012
A
A+
९ काश्यपोऽसितो देवलो वा । पवमान: सोम: । गायत्री ।
सोमा॑ असृग्र॒मिन्द॑वः सु॒ता ऋ॒तस्य॒ साद॑ने । इन्द्रा॑य॒ मधु॑मत्तमाः ॥१॥
अ॒भि विप्रा॑ अनूषत॒ गावो॑ व॒त्सं न मा॒तर॑: । इन्द्रं॒ सोम॑स्य पी॒तये॑ ॥२॥
म॒द॒च्युत्क्षे॑ति॒ साद॑ने॒ सिन्धो॑रू॒र्मा वि॑प॒श्चित् । सोमो॑ गौ॒री अधि॑ श्रि॒तः ॥३॥
दि॒वो नाभा॑ विचक्ष॒णोऽव्यो॒ वारे॑ महीयते । सोमो॒ यः सु॒क्रतु॑: क॒विः ॥४॥
यः सोम॑: क॒लशे॒ष्वाँ अ॒न्तः प॒वित्र॒ आहि॑तः । तमिन्दु॒: परि॑ षस्वजे ॥५॥
प्र वाच॒मिन्दु॑रिष्यति समु॒द्रस्याधि॑ वि॒ष्टपि॑ । जिन्व॒न्कोशं॑ मधु॒श्चुत॑म् ॥६॥
नित्य॑स्तोत्रो॒ वन॒स्पति॑र्धी॒नाम॒न्तः स॑ब॒र्दुघ॑: । हि॒न्वा॒नो मानु॑षा यु॒गा ॥७॥
अ॒भि प्रि॒या दि॒वस्प॒दा सोमो॑ हिन्वा॒नो अ॑र्षति । विप्र॑स्य॒ धार॑या क॒विः ॥८॥
आ प॑वमान धारय र॒यिं स॒हस्र॑वर्चसम् । अ॒स्मे इ॑न्दो स्वा॒भुव॑म् ॥९॥
सोमा॑ असृग्र॒मिन्द॑वः सु॒ता ऋ॒तस्य॒ साद॑ने । इन्द्रा॑य॒ मधु॑मत्तमाः ॥१॥
अ॒भि विप्रा॑ अनूषत॒ गावो॑ व॒त्सं न मा॒तर॑: । इन्द्रं॒ सोम॑स्य पी॒तये॑ ॥२॥
म॒द॒च्युत्क्षे॑ति॒ साद॑ने॒ सिन्धो॑रू॒र्मा वि॑प॒श्चित् । सोमो॑ गौ॒री अधि॑ श्रि॒तः ॥३॥
दि॒वो नाभा॑ विचक्ष॒णोऽव्यो॒ वारे॑ महीयते । सोमो॒ यः सु॒क्रतु॑: क॒विः ॥४॥
यः सोम॑: क॒लशे॒ष्वाँ अ॒न्तः प॒वित्र॒ आहि॑तः । तमिन्दु॒: परि॑ षस्वजे ॥५॥
प्र वाच॒मिन्दु॑रिष्यति समु॒द्रस्याधि॑ वि॒ष्टपि॑ । जिन्व॒न्कोशं॑ मधु॒श्चुत॑म् ॥६॥
नित्य॑स्तोत्रो॒ वन॒स्पति॑र्धी॒नाम॒न्तः स॑ब॒र्दुघ॑: । हि॒न्वा॒नो मानु॑षा यु॒गा ॥७॥
अ॒भि प्रि॒या दि॒वस्प॒दा सोमो॑ हिन्वा॒नो अ॑र्षति । विप्र॑स्य॒ धार॑या क॒विः ॥८॥
आ प॑वमान धारय र॒यिं स॒हस्र॑वर्चसम् । अ॒स्मे इ॑न्दो स्वा॒भुव॑म् ॥९॥