SELECT MANDALA
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 034
A
A+
६ त्रित आप्त्य: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
प्र सु॑वा॒नो धार॑या॒ तनेन्दु॑र्हिन्वा॒नो अ॑र्षति । रु॒जद्दृ॒ळ्हा व्योज॑सा ॥१॥
सु॒त इन्द्रा॑य वा॒यवे॒ वरु॑णाय म॒रुद्भ्य॑: । सोमो॑ अर्षति॒ विष्ण॑वे ॥२॥
वृषा॑णं॒ वृष॑भिर्य॒तं सु॒न्वन्ति॒ सोम॒मद्रि॑भिः । दु॒हन्ति॒ शक्म॑ना॒ पय॑: ॥३॥
भुव॑त्त्रि॒तस्य॒ मर्ज्यो॒ भुव॒दिन्द्रा॑य मत्स॒रः । सं रू॒पैर॑ज्यते॒ हरि॑: ॥४॥
अ॒भीमृ॒तस्य॑ वि॒ष्टपं॑ दुह॒ते पृश्नि॑मातरः । चारु॑ प्रि॒यत॑मं ह॒विः ॥५॥
समे॑न॒मह्रु॑ता इ॒मा गिरो॑ अर्षन्ति स॒स्रुत॑: । धे॒नूर्वा॒श्रो अ॑वीवशत् ॥६॥
प्र सु॑वा॒नो धार॑या॒ तनेन्दु॑र्हिन्वा॒नो अ॑र्षति । रु॒जद्दृ॒ळ्हा व्योज॑सा ॥१॥
सु॒त इन्द्रा॑य वा॒यवे॒ वरु॑णाय म॒रुद्भ्य॑: । सोमो॑ अर्षति॒ विष्ण॑वे ॥२॥
वृषा॑णं॒ वृष॑भिर्य॒तं सु॒न्वन्ति॒ सोम॒मद्रि॑भिः । दु॒हन्ति॒ शक्म॑ना॒ पय॑: ॥३॥
भुव॑त्त्रि॒तस्य॒ मर्ज्यो॒ भुव॒दिन्द्रा॑य मत्स॒रः । सं रू॒पैर॑ज्यते॒ हरि॑: ॥४॥
अ॒भीमृ॒तस्य॑ वि॒ष्टपं॑ दुह॒ते पृश्नि॑मातरः । चारु॑ प्रि॒यत॑मं ह॒विः ॥५॥
समे॑न॒मह्रु॑ता इ॒मा गिरो॑ अर्षन्ति स॒स्रुत॑: । धे॒नूर्वा॒श्रो अ॑वीवशत् ॥६॥