SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 100
A
A+
९ रेभसूनू काश्यपौ । पवमान: सोम: । अनुष्टुप् ।
अ॒भी न॑वन्ते अ॒द्रुह॑: प्रि॒यमिन्द्र॑स्य॒ काम्य॑म् । व॒त्सं न पूर्व॒ आयु॑नि जा॒तं रि॑हन्ति मा॒तर॑: ॥१॥
पु॒ना॒न इ॑न्द॒वा भ॑र॒ सोम॑ द्वि॒बर्ह॑सं र॒यिम् । त्वं वसू॑नि पुष्यसि॒ विश्वा॑नि दा॒शुषो॑ गृ॒हे ॥२॥
त्वं धियं॑ मनो॒युजं॑ सृ॒जा वृ॒ष्टिं न त॑न्य॒तुः । त्वं वसू॑नि॒ पार्थि॑वा दि॒व्या च॑ सोम पुष्यसि ॥३॥
परि॑ ते जि॒ग्युषो॑ यथा॒ धारा॑ सु॒तस्य॑ धावति । रंह॑माणा॒ व्य१व्ययं॒ वारं॑ वा॒जीव॑ सान॒सिः ॥४॥
क्रत्वे॒ दक्षा॑य नः कवे॒ पव॑स्व सोम॒ धार॑या । इन्द्रा॑य॒ पात॑वे सु॒तो मि॒त्राय॒ वरु॑णाय च ॥५॥
पव॑स्व वाज॒सात॑मः प॒वित्रे॒ धार॑या सु॒तः । इन्द्रा॑य सोम॒ विष्ण॑वे दे॒वेभ्यो॒ मधु॑मत्तमः ॥६॥
त्वां रि॑हन्ति मा॒तरो॒ हरिं॑ प॒वित्रे॑ अ॒द्रुह॑: । व॒त्सं जा॒तं न धे॒नव॒: पव॑मान॒ विध॑र्मणि ॥७॥
पव॑मान॒ महि॒ श्रव॑श्चि॒त्रेभि॑र्यासि र॒श्मिभि॑: । शर्ध॒न्तमां॑सि जिघ्नसे॒ विश्वा॑नि दा॒शुषो॑ गृ॒हे ॥८॥
त्वं द्यां च॑ महिव्रत पृथि॒वीं चाति॑ जभ्रिषे । प्रति॑ द्रा॒पिम॑मुञ्चथा॒: पव॑मान महित्व॒ना ॥९॥
अ॒भी न॑वन्ते अ॒द्रुह॑: प्रि॒यमिन्द्र॑स्य॒ काम्य॑म् । व॒त्सं न पूर्व॒ आयु॑नि जा॒तं रि॑हन्ति मा॒तर॑: ॥१॥
पु॒ना॒न इ॑न्द॒वा भ॑र॒ सोम॑ द्वि॒बर्ह॑सं र॒यिम् । त्वं वसू॑नि पुष्यसि॒ विश्वा॑नि दा॒शुषो॑ गृ॒हे ॥२॥
त्वं धियं॑ मनो॒युजं॑ सृ॒जा वृ॒ष्टिं न त॑न्य॒तुः । त्वं वसू॑नि॒ पार्थि॑वा दि॒व्या च॑ सोम पुष्यसि ॥३॥
परि॑ ते जि॒ग्युषो॑ यथा॒ धारा॑ सु॒तस्य॑ धावति । रंह॑माणा॒ व्य१व्ययं॒ वारं॑ वा॒जीव॑ सान॒सिः ॥४॥
क्रत्वे॒ दक्षा॑य नः कवे॒ पव॑स्व सोम॒ धार॑या । इन्द्रा॑य॒ पात॑वे सु॒तो मि॒त्राय॒ वरु॑णाय च ॥५॥
पव॑स्व वाज॒सात॑मः प॒वित्रे॒ धार॑या सु॒तः । इन्द्रा॑य सोम॒ विष्ण॑वे दे॒वेभ्यो॒ मधु॑मत्तमः ॥६॥
त्वां रि॑हन्ति मा॒तरो॒ हरिं॑ प॒वित्रे॑ अ॒द्रुह॑: । व॒त्सं जा॒तं न धे॒नव॒: पव॑मान॒ विध॑र्मणि ॥७॥
पव॑मान॒ महि॒ श्रव॑श्चि॒त्रेभि॑र्यासि र॒श्मिभि॑: । शर्ध॒न्तमां॑सि जिघ्नसे॒ विश्वा॑नि दा॒शुषो॑ गृ॒हे ॥८॥
त्वं द्यां च॑ महिव्रत पृथि॒वीं चाति॑ जभ्रिषे । प्रति॑ द्रा॒पिम॑मुञ्चथा॒: पव॑मान महित्व॒ना ॥९॥