SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 026
A
A+
६ इध्मवाहो दार्ढच्युत: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
तम॑मृक्षन्त वा॒जिन॑मु॒पस्थे॒ अदि॑ते॒रधि॑ । विप्रा॑सो॒ अण्व्या॑ धि॒या ॥१॥
तं गावो॑ अ॒भ्य॑नूषत स॒हस्र॑धार॒मक्षि॑तम् । इन्दुं॑ ध॒र्तार॒मा दि॒वः ॥२॥
तं वे॒धां मे॒धया॑ह्य॒न्पव॑मान॒मधि॒ द्यवि॑ । ध॒र्ण॒सिं भूरि॑धायसम् ॥३॥
तम॑ह्यन्भु॒रिजो॑र्धि॒या सं॒वसा॑नं वि॒वस्व॑तः । पतिं॑ वा॒चो अदा॑भ्यम् ॥४॥
तं साना॒वधि॑ जा॒मयो॒ हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । ह॒र्य॒तं भूरि॑चक्षसम् ॥५॥
तं त्वा॑ हिन्वन्ति वे॒धस॒: पव॑मान गिरा॒वृध॑म् । इन्द॒विन्द्रा॑य मत्स॒रम् ॥६॥
तम॑मृक्षन्त वा॒जिन॑मु॒पस्थे॒ अदि॑ते॒रधि॑ । विप्रा॑सो॒ अण्व्या॑ धि॒या ॥१॥
तं गावो॑ अ॒भ्य॑नूषत स॒हस्र॑धार॒मक्षि॑तम् । इन्दुं॑ ध॒र्तार॒मा दि॒वः ॥२॥
तं वे॒धां मे॒धया॑ह्य॒न्पव॑मान॒मधि॒ द्यवि॑ । ध॒र्ण॒सिं भूरि॑धायसम् ॥३॥
तम॑ह्यन्भु॒रिजो॑र्धि॒या सं॒वसा॑नं वि॒वस्व॑तः । पतिं॑ वा॒चो अदा॑भ्यम् ॥४॥
तं साना॒वधि॑ जा॒मयो॒ हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । ह॒र्य॒तं भूरि॑चक्षसम् ॥५॥
तं त्वा॑ हिन्वन्ति वे॒धस॒: पव॑मान गिरा॒वृध॑म् । इन्द॒विन्द्रा॑य मत्स॒रम् ॥६॥