SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 046
A
A+
६ अयास्य आङ्गिरस: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
असृ॑ग्रन्दे॒ववी॑त॒येऽत्या॑स॒: कृत्व्या॑ इव । क्षर॑न्तः पर्वता॒वृध॑: ॥१॥
परि॑ष्कृतास॒ इन्द॑वो॒ योषे॑व॒ पित्र्या॑वती । वा॒युं सोमा॑ असृक्षत ॥२॥
ए॒ते सोमा॑स॒ इन्द॑व॒: प्रय॑स्वन्तश्च॒मू सु॒ताः । इन्द्रं॑ वर्धन्ति॒ कर्म॑भिः ॥३॥
आ धा॑वता सुहस्त्यः शु॒क्रा गृ॑भ्णीत म॒न्थिना॑ । गोभि॑: श्रीणीत मत्स॒रम् ॥४॥
स प॑वस्व धनंजय प्रय॒न्ता राध॑सो म॒हः । अ॒स्मभ्यं॑ सोम गातु॒वित् ॥५॥
ए॒तं मृ॑जन्ति॒ मर्ज्यं॒ पव॑मानं॒ दश॒ क्षिप॑: । इन्द्रा॑य मत्स॒रं मद॑म् ॥६॥
असृ॑ग्रन्दे॒ववी॑त॒येऽत्या॑स॒: कृत्व्या॑ इव । क्षर॑न्तः पर्वता॒वृध॑: ॥१॥
परि॑ष्कृतास॒ इन्द॑वो॒ योषे॑व॒ पित्र्या॑वती । वा॒युं सोमा॑ असृक्षत ॥२॥
ए॒ते सोमा॑स॒ इन्द॑व॒: प्रय॑स्वन्तश्च॒मू सु॒ताः । इन्द्रं॑ वर्धन्ति॒ कर्म॑भिः ॥३॥
आ धा॑वता सुहस्त्यः शु॒क्रा गृ॑भ्णीत म॒न्थिना॑ । गोभि॑: श्रीणीत मत्स॒रम् ॥४॥
स प॑वस्व धनंजय प्रय॒न्ता राध॑सो म॒हः । अ॒स्मभ्यं॑ सोम गातु॒वित् ॥५॥
ए॒तं मृ॑जन्ति॒ मर्ज्यं॒ पव॑मानं॒ दश॒ क्षिप॑: । इन्द्रा॑य मत्स॒रं मद॑म् ॥६॥