SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 050
A
A+
५ उचथ्य आङ्गिरस: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
उत्ते॒ शुष्मा॑स ईरते॒ सिन्धो॑रू॒र्मेरि॑व स्व॒नः । वा॒णस्य॑ चोदया प॒विम् ॥१॥
प्र॒स॒वे त॒ उदी॑रते ति॒स्रो वाचो॑ मख॒स्युव॑: । यदव्य॒ एषि॒ सान॑वि ॥२॥
अव्यो॒ वारे॒ परि॑ प्रि॒यं हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । पव॑मानं मधु॒श्चुत॑म् ॥३॥
आ प॑वस्व मदिन्तम प॒वित्रं॒ धार॑या कवे । अ॒र्कस्य॒ योनि॑मा॒सद॑म् ॥४॥
स प॑वस्व मदिन्तम॒ गोभि॑रञ्जा॒नो अ॒क्तुभि॑: । इन्द॒विन्द्रा॑य पी॒तये॑ ॥५॥
उत्ते॒ शुष्मा॑स ईरते॒ सिन्धो॑रू॒र्मेरि॑व स्व॒नः । वा॒णस्य॑ चोदया प॒विम् ॥१॥
प्र॒स॒वे त॒ उदी॑रते ति॒स्रो वाचो॑ मख॒स्युव॑: । यदव्य॒ एषि॒ सान॑वि ॥२॥
अव्यो॒ वारे॒ परि॑ प्रि॒यं हरिं॑ हिन्व॒न्त्यद्रि॑भिः । पव॑मानं मधु॒श्चुत॑म् ॥३॥
आ प॑वस्व मदिन्तम प॒वित्रं॒ धार॑या कवे । अ॒र्कस्य॒ योनि॑मा॒सद॑म् ॥४॥
स प॑वस्व मदिन्तम॒ गोभि॑रञ्जा॒नो अ॒क्तुभि॑: । इन्द॒विन्द्रा॑य पी॒तये॑ ॥५॥