SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 031
A
A+
६ गोतमो राहूगण:। पवमान: सोम: । गायत्री ।
प्र सोमा॑सः स्वा॒ध्य१: पव॑मानासो अक्रमुः । र॒यिं कृ॑ण्वन्ति॒ चेत॑नम् ॥१॥
दि॒वस्पृ॑थि॒व्या अधि॒ भवे॑न्दो द्युम्न॒वर्ध॑नः । भवा॒ वाजा॑नां॒ पति॑: ॥२॥
तुभ्यं॒ वाता॑ अभि॒प्रिय॒स्तुभ्य॑मर्षन्ति॒ सिन्ध॑वः । सोम॒ वर्ध॑न्ति ते॒ मह॑: ॥३॥
आ प्या॑यस्व॒ समे॑तु ते वि॒श्वत॑: सोम॒ वृष्ण्य॑म् । भवा॒ वाज॑स्य संग॒थे ॥४॥
तुभ्यं॒ गावो॑ घृ॒तं पयो॒ बभ्रो॑ दुदु॒ह्रे अक्षि॑तम् । वर्षि॑ष्ठे॒ अधि॒ सान॑वि ॥५॥
स्वा॒यु॒धस्य॑ ते स॒तो भुव॑नस्य पते व॒यम् । इन्दो॑ सखि॒त्वमु॑श्मसि ॥६॥
प्र सोमा॑सः स्वा॒ध्य१: पव॑मानासो अक्रमुः । र॒यिं कृ॑ण्वन्ति॒ चेत॑नम् ॥१॥
दि॒वस्पृ॑थि॒व्या अधि॒ भवे॑न्दो द्युम्न॒वर्ध॑नः । भवा॒ वाजा॑नां॒ पति॑: ॥२॥
तुभ्यं॒ वाता॑ अभि॒प्रिय॒स्तुभ्य॑मर्षन्ति॒ सिन्ध॑वः । सोम॒ वर्ध॑न्ति ते॒ मह॑: ॥३॥
आ प्या॑यस्व॒ समे॑तु ते वि॒श्वत॑: सोम॒ वृष्ण्य॑म् । भवा॒ वाज॑स्य संग॒थे ॥४॥
तुभ्यं॒ गावो॑ घृ॒तं पयो॒ बभ्रो॑ दुदु॒ह्रे अक्षि॑तम् । वर्षि॑ष्ठे॒ अधि॒ सान॑वि ॥५॥
स्वा॒यु॒धस्य॑ ते स॒तो भुव॑नस्य पते व॒यम् । इन्दो॑ सखि॒त्वमु॑श्मसि ॥६॥