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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 041
A
A+
६ मेध्यातिथि: काण्व: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
प्र ये गावो॒ न भूर्ण॑यस्त्वे॒षा अ॒यासो॒ अक्र॑मुः । घ्नन्त॑: कृ॒ष्णामप॒ त्वच॑म् ॥१॥
सु॒वि॒तस्य॑ मनाम॒हेऽति॒ सेतुं॑ दुरा॒व्य॑म् । सा॒ह्वांसो॒ दस्यु॑मव्र॒तम् ॥२॥
शृ॒ण्वे वृ॒ष्टेरि॑व स्व॒नः पव॑मानस्य शु॒ष्मिण॑: । चर॑न्ति वि॒द्युतो॑ दि॒वि ॥३॥
आ प॑वस्व म॒हीमिषं॒ गोम॑दिन्दो॒ हिर॑ण्यवत् । अश्वा॑व॒द्वाज॑वत्सु॒तः ॥४॥
स प॑वस्व विचर्षण॒ आ म॒ही रोद॑सी पृण । उ॒षाः सूर्यो॒ न र॒श्मिभि॑: ॥५॥
परि॑ णः शर्म॒यन्त्या॒ धार॑या सोम वि॒श्वत॑: । सरा॑ र॒सेव॑ वि॒ष्टप॑म् ॥६॥
प्र ये गावो॒ न भूर्ण॑यस्त्वे॒षा अ॒यासो॒ अक्र॑मुः । घ्नन्त॑: कृ॒ष्णामप॒ त्वच॑म् ॥१॥
सु॒वि॒तस्य॑ मनाम॒हेऽति॒ सेतुं॑ दुरा॒व्य॑म् । सा॒ह्वांसो॒ दस्यु॑मव्र॒तम् ॥२॥
शृ॒ण्वे वृ॒ष्टेरि॑व स्व॒नः पव॑मानस्य शु॒ष्मिण॑: । चर॑न्ति वि॒द्युतो॑ दि॒वि ॥३॥
आ प॑वस्व म॒हीमिषं॒ गोम॑दिन्दो॒ हिर॑ण्यवत् । अश्वा॑व॒द्वाज॑वत्सु॒तः ॥४॥
स प॑वस्व विचर्षण॒ आ म॒ही रोद॑सी पृण । उ॒षाः सूर्यो॒ न र॒श्मिभि॑: ॥५॥
परि॑ णः शर्म॒यन्त्या॒ धार॑या सोम वि॒श्वत॑: । सरा॑ र॒सेव॑ वि॒ष्टप॑म् ॥६॥