SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 042
A
A+
६ मेध्यातिथि: काण्व: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
ज॒नय॑न्रोच॒ना दि॒वो ज॒नय॑न्न॒प्सु सूर्य॑म् । वसा॑नो॒ गा अ॒पो हरि॑: ॥१॥
ए॒ष प्र॒त्नेन॒ मन्म॑ना दे॒वो दे॒वेभ्य॒स्परि॑ । धार॑या पवते सु॒तः ॥२॥
वा॒वृ॒धा॒नाय॒ तूर्व॑ये॒ पव॑न्ते॒ वाज॑सातये । सोमा॑: स॒हस्र॑पाजसः ॥३॥
दु॒हा॒नः प्र॒त्नमित्पय॑: प॒वित्रे॒ परि॑ षिच्यते । क्रन्द॑न्दे॒वाँ अ॑जीजनत् ॥४॥
अ॒भि विश्वा॑नि॒ वार्या॒भि दे॒वाँ ऋ॑ता॒वृध॑: । सोम॑: पुना॒नो अ॑र्षति ॥५॥
गोम॑न्नः सोम वी॒रव॒दश्वा॑व॒द्वाज॑वत्सु॒तः । पव॑स्व बृह॒तीरिष॑: ॥६॥
ज॒नय॑न्रोच॒ना दि॒वो ज॒नय॑न्न॒प्सु सूर्य॑म् । वसा॑नो॒ गा अ॒पो हरि॑: ॥१॥
ए॒ष प्र॒त्नेन॒ मन्म॑ना दे॒वो दे॒वेभ्य॒स्परि॑ । धार॑या पवते सु॒तः ॥२॥
वा॒वृ॒धा॒नाय॒ तूर्व॑ये॒ पव॑न्ते॒ वाज॑सातये । सोमा॑: स॒हस्र॑पाजसः ॥३॥
दु॒हा॒नः प्र॒त्नमित्पय॑: प॒वित्रे॒ परि॑ षिच्यते । क्रन्द॑न्दे॒वाँ अ॑जीजनत् ॥४॥
अ॒भि विश्वा॑नि॒ वार्या॒भि दे॒वाँ ऋ॑ता॒वृध॑: । सोम॑: पुना॒नो अ॑र्षति ॥५॥
गोम॑न्नः सोम वी॒रव॒दश्वा॑व॒द्वाज॑वत्सु॒तः । पव॑स्व बृह॒तीरिष॑: ॥६॥