SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 021
A
A+
७ काश्यपोऽसितो देवलो वा । पवमान: सोम: । गायत्री ।
ए॒ते धा॑व॒न्तीन्द॑व॒: सोमा॒ इन्द्रा॑य॒ घृष्व॑यः । म॒त्स॒रास॑: स्व॒र्विद॑: ॥१॥
प्र॒वृ॒ण्वन्तो॑ अभि॒युज॒: सुष्व॑ये वरिवो॒विद॑: । स्व॒यं स्तो॒त्रे व॑य॒स्कृत॑: ॥२॥
वृथा॒ क्रीळ॑न्त॒ इन्द॑वः स॒धस्थ॑म॒भ्येक॒मित् । सिन्धो॑रू॒र्मा व्य॑क्षरन् ॥३॥
ए॒ते विश्वा॑नि॒ वार्या॒ पव॑मानास आशत । हि॒ता न सप्त॑यो॒ रथे॑ ॥४॥
आस्मि॑न्पि॒शङ्ग॑मिन्दवो॒ दधा॑ता वे॒नमा॒दिशे॑ । यो अ॒स्मभ्य॒मरा॑वा ॥५॥
ऋ॒भुर्न रथ्यं॒ नवं॒ दधा॑ता॒ केत॑मा॒दिशे॑ । शु॒क्राः प॑वध्व॒मर्ण॑सा ॥६॥
ए॒त उ॒ त्ये अ॑वीवश॒न्काष्ठां॑ वा॒जिनो॑ अक्रत । स॒तः प्रासा॑विषुर्म॒तिम् ॥७॥
ए॒ते धा॑व॒न्तीन्द॑व॒: सोमा॒ इन्द्रा॑य॒ घृष्व॑यः । म॒त्स॒रास॑: स्व॒र्विद॑: ॥१॥
प्र॒वृ॒ण्वन्तो॑ अभि॒युज॒: सुष्व॑ये वरिवो॒विद॑: । स्व॒यं स्तो॒त्रे व॑य॒स्कृत॑: ॥२॥
वृथा॒ क्रीळ॑न्त॒ इन्द॑वः स॒धस्थ॑म॒भ्येक॒मित् । सिन्धो॑रू॒र्मा व्य॑क्षरन् ॥३॥
ए॒ते विश्वा॑नि॒ वार्या॒ पव॑मानास आशत । हि॒ता न सप्त॑यो॒ रथे॑ ॥४॥
आस्मि॑न्पि॒शङ्ग॑मिन्दवो॒ दधा॑ता वे॒नमा॒दिशे॑ । यो अ॒स्मभ्य॒मरा॑वा ॥५॥
ऋ॒भुर्न रथ्यं॒ नवं॒ दधा॑ता॒ केत॑मा॒दिशे॑ । शु॒क्राः प॑वध्व॒मर्ण॑सा ॥६॥
ए॒त उ॒ त्ये अ॑वीवश॒न्काष्ठां॑ वा॒जिनो॑ अक्रत । स॒तः प्रासा॑विषुर्म॒तिम् ॥७॥