SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 149
A
A+
५ अर्चन् हैरण्यस्तूपः। सविता। त्रिष्टुप्।
स॒वि॒ता य॒न्त्रैः पृ॑थि॒वीम॑रम्णादस्कम्भ॒ने स॑वि॒ता द्याम॑दृंहत् ।
अश्व॑मिवाधुक्ष॒द्धुनि॑म॒न्तरि॑क्षम॒तूर्ते॑ ब॒द्धं स॑वि॒ता स॑मु॒द्रम् ॥१॥
यत्रा॑ समु॒द्रः स्क॑भि॒तो व्यौन॒दपां॑ नपात्सवि॒ता तस्य॑ वेद ।
अतो॒ भूरत॑ आ॒ उत्थि॑तं॒ रजोऽतो॒ द्यावा॑पृथि॒वी अ॑प्रथेताम् ॥२॥
प॒श्चेदम॒न्यद॑भव॒द्यज॑त्र॒मम॑र्त्यस्य॒ भुव॑नस्य भू॒ना ।
सु॒प॒र्णो अ॒ङ्ग स॑वि॒तुर्ग॒रुत्मा॒न्पूर्वो॑ जा॒तः स उ॑ अ॒स्यानु॒ धर्म॑ ॥३॥
गाव॑ इव॒ ग्रामं॒ यूयु॑धिरि॒वाश्वा॑न्वा॒श्रेव॑ व॒त्सं सु॒मना॒ दुहा॑ना ।
पति॑रिव जा॒याम॒भि नो॒ न्ये॑तु ध॒र्ता दि॒वः स॑वि॒ता वि॒श्ववा॑रः ॥४॥
हिर॑ण्यस्तूपः सवित॒र्यथा॑ त्वाऽऽङ्गिर॒सो जु॒ह्वे वाजे॑ अ॒स्मिन् ।
ए॒वा त्वार्च॒न्नव॑से॒ वन्द॑मान॒: सोम॑स्येवां॒शुं प्रति॑ जागरा॒हम् ॥५॥
स॒वि॒ता य॒न्त्रैः पृ॑थि॒वीम॑रम्णादस्कम्भ॒ने स॑वि॒ता द्याम॑दृंहत् ।
अश्व॑मिवाधुक्ष॒द्धुनि॑म॒न्तरि॑क्षम॒तूर्ते॑ ब॒द्धं स॑वि॒ता स॑मु॒द्रम् ॥१॥
यत्रा॑ समु॒द्रः स्क॑भि॒तो व्यौन॒दपां॑ नपात्सवि॒ता तस्य॑ वेद ।
अतो॒ भूरत॑ आ॒ उत्थि॑तं॒ रजोऽतो॒ द्यावा॑पृथि॒वी अ॑प्रथेताम् ॥२॥
प॒श्चेदम॒न्यद॑भव॒द्यज॑त्र॒मम॑र्त्यस्य॒ भुव॑नस्य भू॒ना ।
सु॒प॒र्णो अ॒ङ्ग स॑वि॒तुर्ग॒रुत्मा॒न्पूर्वो॑ जा॒तः स उ॑ अ॒स्यानु॒ धर्म॑ ॥३॥
गाव॑ इव॒ ग्रामं॒ यूयु॑धिरि॒वाश्वा॑न्वा॒श्रेव॑ व॒त्सं सु॒मना॒ दुहा॑ना ।
पति॑रिव जा॒याम॒भि नो॒ न्ये॑तु ध॒र्ता दि॒वः स॑वि॒ता वि॒श्ववा॑रः ॥४॥
हिर॑ण्यस्तूपः सवित॒र्यथा॑ त्वाऽऽङ्गिर॒सो जु॒ह्वे वाजे॑ अ॒स्मिन् ।
ए॒वा त्वार्च॒न्नव॑से॒ वन्द॑मान॒: सोम॑स्येवां॒शुं प्रति॑ जागरा॒हम् ॥५॥