SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 005
A
A+
७ त्रित आप्त्यः। अग्निः। त्रिष्टुप्।
एक॑: समु॒द्रो ध॒रुणो॑ रयी॒णाम॒स्मद्धृ॒दो भूरि॑जन्मा॒ वि च॑ष्टे ।
सिष॒क्त्यूध॑र्नि॒ण्योरु॒पस्थ॒ उत्स॑स्य॒ मध्ये॒ निहि॑तं प॒दं वेः ॥१॥
स॒मा॒नं नी॒ळं वृष॑णो॒ वसा॑ना॒: सं ज॑ग्मिरे महि॒षा अर्व॑तीभिः ।
ऋ॒तस्य॑ प॒दं क॒वयो॒ नि पा॑न्ति॒ गुहा॒ नामा॑नि दधिरे॒ परा॑णि ॥२॥
ऋ॒ता॒यिनी॑ मा॒यिनी॒ सं द॑धाते मि॒त्वा शिशुं॑ जज्ञतुर्व॒र्धय॑न्ती ।
विश्व॑स्य॒ नाभिं॒ चर॑तो ध्रु॒वस्य॑ क॒वेश्चि॒त्तन्तुं॒ मन॑सा वि॒यन्त॑: ॥३॥
ऋ॒तस्य॒ हि व॑र्त॒नय॒: सुजा॑त॒मिषो॒ वाजा॑य प्र॒दिव॒: सच॑न्ते ।
अ॒धी॒वा॒सं रोद॑सी वावसा॒ने घृ॒तैरन्नै॑र्वावृधाते॒ मधू॑नाम् ॥४॥
स॒प्त स्वसॄ॒ररु॑षीर्वावशा॒नो वि॒द्वान्मध्व॒ उज्ज॑भारा दृ॒शे कम् ।
अ॒न्तर्ये॑मे अ॒न्तरि॑क्षे पुरा॒जा इ॒च्छन्व॒व्रिम॑विदत्पूष॒णस्य॑ ॥५॥
स॒प्त म॒र्यादा॑: क॒वय॑स्ततक्षु॒स्तासा॒मेका॒मिद॒भ्यं॑हु॒रो गा॑त् ।
आ॒योर्ह॑ स्क॒म्भ उ॑प॒मस्य॑ नी॒ळे प॒थां वि॑स॒र्गे ध॒रुणे॑षु तस्थौ ॥६॥
अस॑च्च॒ सच्च॑ पर॒मे व्यो॑म॒न्दक्ष॑स्य॒ जन्म॒न्नदि॑तेरु॒पस्थे॑ ।
अ॒ग्निर्ह॑ नः प्रथम॒जा ऋ॒तस्य॒ पूर्व॒ आयु॑नि वृष॒भश्च॑ धे॒नुः ॥७॥
एक॑: समु॒द्रो ध॒रुणो॑ रयी॒णाम॒स्मद्धृ॒दो भूरि॑जन्मा॒ वि च॑ष्टे ।
सिष॒क्त्यूध॑र्नि॒ण्योरु॒पस्थ॒ उत्स॑स्य॒ मध्ये॒ निहि॑तं प॒दं वेः ॥१॥
स॒मा॒नं नी॒ळं वृष॑णो॒ वसा॑ना॒: सं ज॑ग्मिरे महि॒षा अर्व॑तीभिः ।
ऋ॒तस्य॑ प॒दं क॒वयो॒ नि पा॑न्ति॒ गुहा॒ नामा॑नि दधिरे॒ परा॑णि ॥२॥
ऋ॒ता॒यिनी॑ मा॒यिनी॒ सं द॑धाते मि॒त्वा शिशुं॑ जज्ञतुर्व॒र्धय॑न्ती ।
विश्व॑स्य॒ नाभिं॒ चर॑तो ध्रु॒वस्य॑ क॒वेश्चि॒त्तन्तुं॒ मन॑सा वि॒यन्त॑: ॥३॥
ऋ॒तस्य॒ हि व॑र्त॒नय॒: सुजा॑त॒मिषो॒ वाजा॑य प्र॒दिव॒: सच॑न्ते ।
अ॒धी॒वा॒सं रोद॑सी वावसा॒ने घृ॒तैरन्नै॑र्वावृधाते॒ मधू॑नाम् ॥४॥
स॒प्त स्वसॄ॒ररु॑षीर्वावशा॒नो वि॒द्वान्मध्व॒ उज्ज॑भारा दृ॒शे कम् ।
अ॒न्तर्ये॑मे अ॒न्तरि॑क्षे पुरा॒जा इ॒च्छन्व॒व्रिम॑विदत्पूष॒णस्य॑ ॥५॥
स॒प्त म॒र्यादा॑: क॒वय॑स्ततक्षु॒स्तासा॒मेका॒मिद॒भ्यं॑हु॒रो गा॑त् ।
आ॒योर्ह॑ स्क॒म्भ उ॑प॒मस्य॑ नी॒ळे प॒थां वि॑स॒र्गे ध॒रुणे॑षु तस्थौ ॥६॥
अस॑च्च॒ सच्च॑ पर॒मे व्यो॑म॒न्दक्ष॑स्य॒ जन्म॒न्नदि॑तेरु॒पस्थे॑ ।
अ॒ग्निर्ह॑ नः प्रथम॒जा ऋ॒तस्य॒ पूर्व॒ आयु॑नि वृष॒भश्च॑ धे॒नुः ॥७॥