SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 105
A
A+
११ कौत्सो दुर्मित्रः सुमित्रो वा। इन्द्रः। उष्णिक्, १ गायत्री वा २,७ पिपीलिकमध्या, ११ त्रिष्टुप् ।
क॒दा व॑सो स्तो॒त्रं हर्य॑त॒ आव॑ श्म॒शा रु॑ध॒द्वाः । दी॒र्घं सु॒तं वा॒ताप्या॑य ॥१॥
हरी॒ यस्य॑ सु॒युजा॒ विव्र॑ता॒ वेरर्व॒न्तानु॒ शेपा॑ । उ॒भा र॒जी न के॒शिना॒ पति॒र्दन् ॥२॥
अप॒ योरिन्द्र॒: पाप॑ज॒ आ मर्तो॒ न श॑श्रमा॒णो बि॑भी॒वान् । शु॒भे यद्यु॑यु॒जे तवि॑षीवान् ॥३॥
सचा॒योरिन्द्र॒श्चर्कृ॑ष॒ आँ उ॑पान॒सः स॑प॒र्यन् । न॒दयो॒र्विव्र॑तयो॒: शूर॒ इन्द्र॑: ॥४॥
अधि॒ यस्त॒स्थौ केश॑वन्ता॒ व्यच॑स्वन्ता॒ न पु॒ष्ट्यै । व॒नोति॒ शिप्रा॑भ्यां शि॒प्रिणी॑वान् ॥५॥
प्रास्तौ॑दृ॒ष्वौजा॑ ऋ॒ष्वेभि॑स्त॒तक्ष॒ शूर॒: शव॑सा । ऋ॒भुर्न क्रतु॑भिर्मात॒रिश्वा॑ ॥६॥
वज्रं॒ यश्च॒क्रे सु॒हना॑य॒ दस्य॑वे हिरीम॒शो हिरी॑मान् । अरु॑तहनु॒रद्भु॑तं॒ न रज॑: ॥७॥
अव॑ नो वृजि॒ना शि॑शीह्यृ॒चा व॑नेमा॒नृच॑: । नाब्र॑ह्मा य॒ज्ञ ऋध॒ग्जोष॑ति॒ त्वे ॥८॥
ऊ॒र्ध्वा यत्ते॑ त्रे॒तिनी॒ भूद्य॒ज्ञस्य॑ धू॒र्षु सद्म॑न् । स॒जूर्नावं॒ स्वय॑शसं॒ सचा॒योः ॥९॥
श्रि॒ये ते॒ पृश्नि॑रुप॒सेच॑नी भूच्छ्रि॒ये दर्वि॑ररे॒पाः । यया॒ स्वे पात्रे॑ सि॒ञ्चस॒ उत् ॥१०॥
श॒तं वा॒ यद॑सुर्य॒ प्रति॑ त्वा सुमि॒त्र इ॒त्थास्तौ॑द्दुर्मि॒त्र इ॒त्थास्तौ॑त् ।
आवो॒ यद्द॑स्यु॒हत्ये॑ कुत्सपु॒त्रं प्रावो॒ यद्द॑स्यु॒हत्ये॑ कुत्सव॒त्सम् ॥११॥
क॒दा व॑सो स्तो॒त्रं हर्य॑त॒ आव॑ श्म॒शा रु॑ध॒द्वाः । दी॒र्घं सु॒तं वा॒ताप्या॑य ॥१॥
हरी॒ यस्य॑ सु॒युजा॒ विव्र॑ता॒ वेरर्व॒न्तानु॒ शेपा॑ । उ॒भा र॒जी न के॒शिना॒ पति॒र्दन् ॥२॥
अप॒ योरिन्द्र॒: पाप॑ज॒ आ मर्तो॒ न श॑श्रमा॒णो बि॑भी॒वान् । शु॒भे यद्यु॑यु॒जे तवि॑षीवान् ॥३॥
सचा॒योरिन्द्र॒श्चर्कृ॑ष॒ आँ उ॑पान॒सः स॑प॒र्यन् । न॒दयो॒र्विव्र॑तयो॒: शूर॒ इन्द्र॑: ॥४॥
अधि॒ यस्त॒स्थौ केश॑वन्ता॒ व्यच॑स्वन्ता॒ न पु॒ष्ट्यै । व॒नोति॒ शिप्रा॑भ्यां शि॒प्रिणी॑वान् ॥५॥
प्रास्तौ॑दृ॒ष्वौजा॑ ऋ॒ष्वेभि॑स्त॒तक्ष॒ शूर॒: शव॑सा । ऋ॒भुर्न क्रतु॑भिर्मात॒रिश्वा॑ ॥६॥
वज्रं॒ यश्च॒क्रे सु॒हना॑य॒ दस्य॑वे हिरीम॒शो हिरी॑मान् । अरु॑तहनु॒रद्भु॑तं॒ न रज॑: ॥७॥
अव॑ नो वृजि॒ना शि॑शीह्यृ॒चा व॑नेमा॒नृच॑: । नाब्र॑ह्मा य॒ज्ञ ऋध॒ग्जोष॑ति॒ त्वे ॥८॥
ऊ॒र्ध्वा यत्ते॑ त्रे॒तिनी॒ भूद्य॒ज्ञस्य॑ धू॒र्षु सद्म॑न् । स॒जूर्नावं॒ स्वय॑शसं॒ सचा॒योः ॥९॥
श्रि॒ये ते॒ पृश्नि॑रुप॒सेच॑नी भूच्छ्रि॒ये दर्वि॑ररे॒पाः । यया॒ स्वे पात्रे॑ सि॒ञ्चस॒ उत् ॥१०॥
श॒तं वा॒ यद॑सुर्य॒ प्रति॑ त्वा सुमि॒त्र इ॒त्थास्तौ॑द्दुर्मि॒त्र इ॒त्थास्तौ॑त् ।
आवो॒ यद्द॑स्यु॒हत्ये॑ कुत्सपु॒त्रं प्रावो॒ यद्द॑स्यु॒हत्ये॑ कुत्सव॒त्सम् ॥११॥