SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 165
A
A+
५ नैऋर्तः कपोतः।विश्वेदेवाः। त्रिष्टुप्।
देवा॑: क॒पोत॑ इषि॒तो यदि॒च्छन्दू॒तो निॠ॑त्या इ॒दमा॑ज॒गाम॑ ।
तस्मा॑ अर्चाम कृ॒णवा॑म॒ निष्कृ॑तिं॒ शं नो॑ अस्तु द्वि॒पदे॒ शं चतु॑ष्पदे ॥१॥
शि॒वः क॒पोत॑ इषि॒तो नो॑ अस्त्वना॒गा दे॑वाः शकु॒नो गृ॒हेषु॑ ।
अ॒ग्निर्हि विप्रो॑ जु॒षतां॑ ह॒विर्न॒: परि॑ हे॒तिः प॒क्षिणी॑ नो वृणक्तु ॥२॥
हे॒तिः प॒क्षिणी॒ न द॑भात्य॒स्माना॒ष्ट्र्यां प॒दं कृ॑णुते अग्नि॒धाने॑ ।
शं नो॒ गोभ्य॑श्च॒ पुरु॑षेभ्यश्चास्तु॒ मा नो॑ हिंसीदि॒ह दे॑वाः क॒पोत॑: ॥३॥
यदुलू॑को॒ वद॑ति मो॒घमे॒तद्यत्क॒पोत॑: प॒दम॒ग्नौ कृ॒णोति॑ ।
यस्य॑ दू॒तः प्रहि॑त ए॒ष ए॒तत्तस्मै॑ य॒माय॒ नमो॑ अस्तु मृ॒त्यवे॑ ॥४॥
ऋ॒चा क॒पोतं॑ नुदत प्र॒णोद॒मिषं॒ मद॑न्त॒: परि॒ गां न॑यध्वम् ।
सं॒यो॒पय॑न्तो दुरि॒तानि॒ विश्वा॑ हि॒त्वा न॒ ऊर्जं॒ प्र प॑ता॒त्पति॑ष्ठः ॥५॥
देवा॑: क॒पोत॑ इषि॒तो यदि॒च्छन्दू॒तो निॠ॑त्या इ॒दमा॑ज॒गाम॑ ।
तस्मा॑ अर्चाम कृ॒णवा॑म॒ निष्कृ॑तिं॒ शं नो॑ अस्तु द्वि॒पदे॒ शं चतु॑ष्पदे ॥१॥
शि॒वः क॒पोत॑ इषि॒तो नो॑ अस्त्वना॒गा दे॑वाः शकु॒नो गृ॒हेषु॑ ।
अ॒ग्निर्हि विप्रो॑ जु॒षतां॑ ह॒विर्न॒: परि॑ हे॒तिः प॒क्षिणी॑ नो वृणक्तु ॥२॥
हे॒तिः प॒क्षिणी॒ न द॑भात्य॒स्माना॒ष्ट्र्यां प॒दं कृ॑णुते अग्नि॒धाने॑ ।
शं नो॒ गोभ्य॑श्च॒ पुरु॑षेभ्यश्चास्तु॒ मा नो॑ हिंसीदि॒ह दे॑वाः क॒पोत॑: ॥३॥
यदुलू॑को॒ वद॑ति मो॒घमे॒तद्यत्क॒पोत॑: प॒दम॒ग्नौ कृ॒णोति॑ ।
यस्य॑ दू॒तः प्रहि॑त ए॒ष ए॒तत्तस्मै॑ य॒माय॒ नमो॑ अस्तु मृ॒त्यवे॑ ॥४॥
ऋ॒चा क॒पोतं॑ नुदत प्र॒णोद॒मिषं॒ मद॑न्त॒: परि॒ गां न॑यध्वम् ।
सं॒यो॒पय॑न्तो दुरि॒तानि॒ विश्वा॑ हि॒त्वा न॒ ऊर्जं॒ प्र प॑ता॒त्पति॑ष्ठः ॥५॥