SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 159
A
A+
६ पौलोमी शची। शची (आत्मानं तुष्टाव)। अनुष्टुप्।
उद॒सौ सूर्यो॑ अगा॒दुद॒यं मा॑म॒को भग॑: । अ॒हं तद्वि॑द्व॒ला पति॑म॒भ्य॑साक्षि विषास॒हिः ॥१॥
अ॒हं के॒तुर॒हं मू॒र्धाऽहमु॒ग्रा वि॒वाच॑नी । ममेदनु॒ क्रतुं॒ पति॑: सेहा॒नाया॑ उ॒पाच॑रेत् ॥२॥
मम॑ पु॒त्राः श॑त्रु॒हणोऽथो॑ मे दुहि॒ता वि॒राट् । उ॒ताहम॑स्मि संज॒या पत्यौ॑ मे॒ श्लोक॑ उत्त॒मः ॥३॥
येनेन्द्रो॑ ह॒विषा॑ कृ॒त्व्यभ॑वद्द्यु॒म्न्यु॑त्त॒मः । इ॒दं तद॑क्रि देवा असप॒त्ना किला॑भुवम् ॥४॥
अ॒स॒प॒त्ना स॑पत्न॒घ्नी जय॑न्त्यभि॒भूव॑री । आवृ॑क्षम॒न्यासां॒ वर्चो॒ राधो॒ अस्थे॑यसामिव ॥५॥
सम॑जैषमि॒मा अ॒हं स॒पत्नी॑रभि॒भूव॑री । यथा॒हम॒स्य वी॒रस्य॑ वि॒राजा॑नि॒ जन॑स्य च ॥६॥
उद॒सौ सूर्यो॑ अगा॒दुद॒यं मा॑म॒को भग॑: । अ॒हं तद्वि॑द्व॒ला पति॑म॒भ्य॑साक्षि विषास॒हिः ॥१॥
अ॒हं के॒तुर॒हं मू॒र्धाऽहमु॒ग्रा वि॒वाच॑नी । ममेदनु॒ क्रतुं॒ पति॑: सेहा॒नाया॑ उ॒पाच॑रेत् ॥२॥
मम॑ पु॒त्राः श॑त्रु॒हणोऽथो॑ मे दुहि॒ता वि॒राट् । उ॒ताहम॑स्मि संज॒या पत्यौ॑ मे॒ श्लोक॑ उत्त॒मः ॥३॥
येनेन्द्रो॑ ह॒विषा॑ कृ॒त्व्यभ॑वद्द्यु॒म्न्यु॑त्त॒मः । इ॒दं तद॑क्रि देवा असप॒त्ना किला॑भुवम् ॥४॥
अ॒स॒प॒त्ना स॑पत्न॒घ्नी जय॑न्त्यभि॒भूव॑री । आवृ॑क्षम॒न्यासां॒ वर्चो॒ राधो॒ अस्थे॑यसामिव ॥५॥
सम॑जैषमि॒मा अ॒हं स॒पत्नी॑रभि॒भूव॑री । यथा॒हम॒स्य वी॒रस्य॑ वि॒राजा॑नि॒ जन॑स्य च ॥६॥