SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 147
A
A+
५ सुवेदाः शैरीषिः। इन्द्रः। जगती, ५ त्रिष्टुप्।
श्रत्ते॑ दधामि प्रथ॒माय॑ म॒न्यवेऽह॒न्यद्वृ॒त्रं नर्यं॑ वि॒वेर॒पः ।
उ॒भे यत्त्वा॒ भव॑तो॒ रोद॑सी॒ अनु॒ रेज॑ते॒ शुष्मा॑त्पृथि॒वी चि॑दद्रिवः ॥१॥
त्वं मा॒याभि॑रनवद्य मा॒यिनं॑ श्रवस्य॒ता मन॑सा वृ॒त्रम॑र्दयः ।
त्वामिन्नरो॑ वृणते॒ गवि॑ष्टिषु॒ त्वां विश्वा॑सु॒ हव्या॒स्विष्टि॑षु ॥२॥
ऐषु॑ चाकन्धि पुरुहूत सू॒रिषु॑ वृ॒धासो॒ ये म॑घवन्नान॒शुर्म॒घम् ।
अर्च॑न्ति तो॒के तन॑ये॒ परि॑ष्टिषु मे॒धसा॑ता वा॒जिन॒मह्र॑ये॒ धने॑ ॥३॥
स इन्नु रा॒यः सुभृ॑तस्य चाकन॒न्मदं॒ यो अ॑स्य॒ रंह्यं॒ चिके॑तति ।
त्वावृ॑धो मघवन्दा॒श्व॑ध्वरो म॒क्षू स वाजं॑ भरते॒ धना॒ नृभि॑: ॥४॥
त्वं शर्धा॑य महि॒ना गृ॑णा॒न उ॒रु कृ॑धि मघवञ्छ॒ग्धि रा॒यः ।
त्वं नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो॒ न मा॒यी पि॒त्वो न द॑स्म दयसे विभ॒क्ता ॥५॥
श्रत्ते॑ दधामि प्रथ॒माय॑ म॒न्यवेऽह॒न्यद्वृ॒त्रं नर्यं॑ वि॒वेर॒पः ।
उ॒भे यत्त्वा॒ भव॑तो॒ रोद॑सी॒ अनु॒ रेज॑ते॒ शुष्मा॑त्पृथि॒वी चि॑दद्रिवः ॥१॥
त्वं मा॒याभि॑रनवद्य मा॒यिनं॑ श्रवस्य॒ता मन॑सा वृ॒त्रम॑र्दयः ।
त्वामिन्नरो॑ वृणते॒ गवि॑ष्टिषु॒ त्वां विश्वा॑सु॒ हव्या॒स्विष्टि॑षु ॥२॥
ऐषु॑ चाकन्धि पुरुहूत सू॒रिषु॑ वृ॒धासो॒ ये म॑घवन्नान॒शुर्म॒घम् ।
अर्च॑न्ति तो॒के तन॑ये॒ परि॑ष्टिषु मे॒धसा॑ता वा॒जिन॒मह्र॑ये॒ धने॑ ॥३॥
स इन्नु रा॒यः सुभृ॑तस्य चाकन॒न्मदं॒ यो अ॑स्य॒ रंह्यं॒ चिके॑तति ।
त्वावृ॑धो मघवन्दा॒श्व॑ध्वरो म॒क्षू स वाजं॑ भरते॒ धना॒ नृभि॑: ॥४॥
त्वं शर्धा॑य महि॒ना गृ॑णा॒न उ॒रु कृ॑धि मघवञ्छ॒ग्धि रा॒यः ।
त्वं नो॑ मि॒त्रो वरु॑णो॒ न मा॒यी पि॒त्वो न द॑स्म दयसे विभ॒क्ता ॥५॥