SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 139
A
A+
६ देवगन्धर्वो विश्वावसुः। सविता, ४-६ आत्मा। त्रिष्टुप्।
सूर्य॑रश्मि॒र्हरि॑केशः पु॒रस्ता॑त्सवि॒ता ज्योति॒रुद॑याँ॒ अज॑स्रम् ।
तस्य॑ पू॒षा प्र॑स॒वे या॑ति वि॒द्वान्त्स॒म्पश्य॒न्विश्वा॒ भुव॑नानि गो॒पाः ॥१॥
नृ॒चक्षा॑ ए॒ष दि॒वो मध्य॑ आस्त आपप्रि॒वान्रोद॑सी अ॒न्तरि॑क्षम् ।
स वि॒श्वाची॑र॒भि च॑ष्टे घृ॒ताची॑रन्त॒रा पूर्व॒मप॑रं च के॒तुम् ॥२॥
रा॒यो बु॒ध्नः सं॒गम॑नो॒ वसू॑नां॒ विश्वा॑ रू॒पाभि च॑ष्टे॒ शची॑भिः ।
दे॒व इ॑व सवि॒ता स॒त्यध॒र्मेन्द्रो॒ न त॑स्थौ सम॒रे धना॑नाम् ॥३॥
वि॒श्वाव॑सुं सोम गन्ध॒र्वमापो॑ ददृ॒शुषी॒स्तदृ॒तेना॒ व्या॑यन् ।
तद॒न्ववै॒दिन्द्रो॑ रारहा॒ण आ॑सां॒ परि॒ सूर्य॑स्य परि॒धीँर॑पश्यत् ॥४॥
वि॒श्वाव॑सुर॒भि तन्नो॑ गृणातु दि॒व्यो ग॑न्ध॒र्वो रज॑सो वि॒मान॑: ।
यद्वा॑ घा स॒त्यमु॒त यन्न वि॒द्म धियो॑ हिन्वा॒नो धिय॒ इन्नो॑ अव्याः ॥५॥
सस्नि॑मविन्द॒च्चर॑णे न॒दीना॒मपा॑वृणो॒द्दुरो॒ अश्म॑व्रजानाम् ।
प्रासां॑ गन्ध॒र्वो अ॒मृता॑नि वोच॒दिन्द्रो॒ दक्षं॒ परि॑ जानाद॒हीना॑म् ॥६॥
सूर्य॑रश्मि॒र्हरि॑केशः पु॒रस्ता॑त्सवि॒ता ज्योति॒रुद॑याँ॒ अज॑स्रम् ।
तस्य॑ पू॒षा प्र॑स॒वे या॑ति वि॒द्वान्त्स॒म्पश्य॒न्विश्वा॒ भुव॑नानि गो॒पाः ॥१॥
नृ॒चक्षा॑ ए॒ष दि॒वो मध्य॑ आस्त आपप्रि॒वान्रोद॑सी अ॒न्तरि॑क्षम् ।
स वि॒श्वाची॑र॒भि च॑ष्टे घृ॒ताची॑रन्त॒रा पूर्व॒मप॑रं च के॒तुम् ॥२॥
रा॒यो बु॒ध्नः सं॒गम॑नो॒ वसू॑नां॒ विश्वा॑ रू॒पाभि च॑ष्टे॒ शची॑भिः ।
दे॒व इ॑व सवि॒ता स॒त्यध॒र्मेन्द्रो॒ न त॑स्थौ सम॒रे धना॑नाम् ॥३॥
वि॒श्वाव॑सुं सोम गन्ध॒र्वमापो॑ ददृ॒शुषी॒स्तदृ॒तेना॒ व्या॑यन् ।
तद॒न्ववै॒दिन्द्रो॑ रारहा॒ण आ॑सां॒ परि॒ सूर्य॑स्य परि॒धीँर॑पश्यत् ॥४॥
वि॒श्वाव॑सुर॒भि तन्नो॑ गृणातु दि॒व्यो ग॑न्ध॒र्वो रज॑सो वि॒मान॑: ।
यद्वा॑ घा स॒त्यमु॒त यन्न वि॒द्म धियो॑ हिन्वा॒नो धिय॒ इन्नो॑ अव्याः ॥५॥
सस्नि॑मविन्द॒च्चर॑णे न॒दीना॒मपा॑वृणो॒द्दुरो॒ अश्म॑व्रजानाम् ।
प्रासां॑ गन्ध॒र्वो अ॒मृता॑नि वोच॒दिन्द्रो॒ दक्षं॒ परि॑ जानाद॒हीना॑म् ॥६॥