SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 054
A
A+
६ बृहदुक्थो वामदेव्यः। इन्द्रः। त्रिष्टुप्।
तां सु ते॑ की॒र्तिं म॑घवन्महि॒त्वा यत्त्वा॑ भी॒ते रोद॑सी॒ अह्व॑येताम् ।
प्रावो॑ दे॒वाँ आति॑रो॒ दास॒मोज॑: प्र॒जायै॑ त्वस्यै॒ यदशि॑क्ष इन्द्र ॥१॥
यदच॑रस्त॒न्वा॑ वावृधा॒नो बला॑नीन्द्र प्रब्रुवा॒णो जने॑षु ।
मा॒येत्सा ते॒ यानि॑ यु॒द्धान्या॒हुर्नाद्य शत्रुं॑ न॒नु पु॒रा वि॑वित्से ॥२॥
क उ॒ नु ते॑ महि॒मन॑: समस्या॒ऽस्मत्पूर्व॒ ऋष॒योऽन्त॑मापुः ।
यन्मा॒तरं॑ च पि॒तरं॑ च सा॒कमज॑नयथास्त॒न्व१: स्वाया॑: ॥३॥
च॒त्वारि॑ ते असु॒र्या॑णि॒ नामाऽदा॑भ्यानि महि॒षस्य॑ सन्ति ।
त्वम॒ङ्ग तानि॒ विश्वा॑नि वित्से॒ येभि॒: कर्मा॑णि मघवञ्च॒कर्थ॑ ॥४॥
त्वं विश्वा॑ दधिषे॒ केव॑लानि॒ यान्या॒विर्या च॒ गुहा॒ वसू॑नि ।
काम॒मिन्मे॑ मघव॒न्मा वि ता॑री॒स्त्वमा॑ज्ञा॒ता त्वमि॑न्द्रासि दा॒ता ॥५॥
यो अद॑धा॒ज्ज्योति॑षि॒ ज्योति॑र॒न्तर्यो असृ॑ज॒न्मधु॑ना॒ सं मधू॑नि ।
अध॑ प्रि॒यं शू॒षमिन्द्रा॑य॒ मन्म॑ ब्रह्म॒कृतो॑ बृ॒हदु॑क्थादवाचि ॥६॥
तां सु ते॑ की॒र्तिं म॑घवन्महि॒त्वा यत्त्वा॑ भी॒ते रोद॑सी॒ अह्व॑येताम् ।
प्रावो॑ दे॒वाँ आति॑रो॒ दास॒मोज॑: प्र॒जायै॑ त्वस्यै॒ यदशि॑क्ष इन्द्र ॥१॥
यदच॑रस्त॒न्वा॑ वावृधा॒नो बला॑नीन्द्र प्रब्रुवा॒णो जने॑षु ।
मा॒येत्सा ते॒ यानि॑ यु॒द्धान्या॒हुर्नाद्य शत्रुं॑ न॒नु पु॒रा वि॑वित्से ॥२॥
क उ॒ नु ते॑ महि॒मन॑: समस्या॒ऽस्मत्पूर्व॒ ऋष॒योऽन्त॑मापुः ।
यन्मा॒तरं॑ च पि॒तरं॑ च सा॒कमज॑नयथास्त॒न्व१: स्वाया॑: ॥३॥
च॒त्वारि॑ ते असु॒र्या॑णि॒ नामाऽदा॑भ्यानि महि॒षस्य॑ सन्ति ।
त्वम॒ङ्ग तानि॒ विश्वा॑नि वित्से॒ येभि॒: कर्मा॑णि मघवञ्च॒कर्थ॑ ॥४॥
त्वं विश्वा॑ दधिषे॒ केव॑लानि॒ यान्या॒विर्या च॒ गुहा॒ वसू॑नि ।
काम॒मिन्मे॑ मघव॒न्मा वि ता॑री॒स्त्वमा॑ज्ञा॒ता त्वमि॑न्द्रासि दा॒ता ॥५॥
यो अद॑धा॒ज्ज्योति॑षि॒ ज्योति॑र॒न्तर्यो असृ॑ज॒न्मधु॑ना॒ सं मधू॑नि ।
अध॑ प्रि॒यं शू॒षमिन्द्रा॑य॒ मन्म॑ ब्रह्म॒कृतो॑ बृ॒हदु॑क्थादवाचि ॥६॥