SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 050
A
A+
७ वैकुण्ठ इन्द्रः। इन्द्रः। जगतीः, ३,४ अभिसारिणी, ५ त्रिष्टुप्।
प्र वो॑ म॒हे मन्द॑माना॒यान्ध॒सोऽर्चा॑ वि॒श्वान॑राय विश्वा॒भुवे॑ ।
इन्द्र॑स्य॒ यस्य॒ सुम॑खं॒ सहो॒ महि॒ श्रवो॑ नृ॒म्णं च॒ रोद॑सी सप॒र्यत॑: ॥१॥
सो चि॒न्नु सख्या॒ नर्य॑ इ॒नः स्तु॒तश्च॒र्कृत्य॒ इन्द्रो॒ माव॑ते॒ नरे॑ ।
विश्वा॑सु धू॒र्षु वा॑ज॒कृत्ये॑षु सत्पते वृ॒त्रे वा॒प्स्व१भि शू॑र मन्दसे ॥२॥
के ते नर॑ इन्द्र॒ ये त॑ इ॒षे ये ते॑ सु॒म्नं स॑ध॒न्य१मिय॑क्षान् ।
के ते॒ वाजा॑यासु॒र्या॑य हिन्विरे॒ के अ॒प्सु स्वासू॒र्वरा॑सु॒ पौंस्ये॑ ॥३॥
भुव॒स्त्वमि॑न्द्र॒ ब्रह्म॑णा म॒हान्भुवो॒ विश्वे॑षु॒ सव॑नेषु य॒ज्ञिय॑: ।
भुवो॒ नॄँश्च्यौ॒त्नो विश्व॑स्मि॒न्भरे॒ ज्येष्ठ॑श्च॒ मन्त्रो॑ विश्वचर्षणे ॥४॥
अवा॒ नु कं॒ ज्याया॑न्य॒ज्ञव॑नसो म॒हीं त॒ ओमा॑त्रां कृ॒ष्टयो॑ विदुः ।
असो॒ नु क॑म॒जरो॒ वर्धा॑श्च॒ विश्वेदे॒ता सव॑ना तूतु॒मा कृ॑षे ॥५॥
ए॒ता विश्वा॒ सव॑ना तूतु॒मा कृ॑षे स्व॒यं सू॑नो सहसो॒ यानि॑ दधि॒षे ।
वरा॑य ते॒ पात्रं॒ धर्म॑णे॒ तना॑ य॒ज्ञो मन्त्रो॒ ब्रह्मोद्य॑तं॒ वच॑: ॥६॥
ये ते॑ विप्र ब्रह्म॒कृत॑: सु॒ते सचा॒ वसू॑नां च॒ वसु॑नश्च दा॒वने॑ ।
प्र ते सु॒म्नस्य॒ मन॑सा प॒था भु॑व॒न्मदे॑ सु॒तस्य॑ सो॒म्यस्यान्ध॑सः ॥७॥
प्र वो॑ म॒हे मन्द॑माना॒यान्ध॒सोऽर्चा॑ वि॒श्वान॑राय विश्वा॒भुवे॑ ।
इन्द्र॑स्य॒ यस्य॒ सुम॑खं॒ सहो॒ महि॒ श्रवो॑ नृ॒म्णं च॒ रोद॑सी सप॒र्यत॑: ॥१॥
सो चि॒न्नु सख्या॒ नर्य॑ इ॒नः स्तु॒तश्च॒र्कृत्य॒ इन्द्रो॒ माव॑ते॒ नरे॑ ।
विश्वा॑सु धू॒र्षु वा॑ज॒कृत्ये॑षु सत्पते वृ॒त्रे वा॒प्स्व१भि शू॑र मन्दसे ॥२॥
के ते नर॑ इन्द्र॒ ये त॑ इ॒षे ये ते॑ सु॒म्नं स॑ध॒न्य१मिय॑क्षान् ।
के ते॒ वाजा॑यासु॒र्या॑य हिन्विरे॒ के अ॒प्सु स्वासू॒र्वरा॑सु॒ पौंस्ये॑ ॥३॥
भुव॒स्त्वमि॑न्द्र॒ ब्रह्म॑णा म॒हान्भुवो॒ विश्वे॑षु॒ सव॑नेषु य॒ज्ञिय॑: ।
भुवो॒ नॄँश्च्यौ॒त्नो विश्व॑स्मि॒न्भरे॒ ज्येष्ठ॑श्च॒ मन्त्रो॑ विश्वचर्षणे ॥४॥
अवा॒ नु कं॒ ज्याया॑न्य॒ज्ञव॑नसो म॒हीं त॒ ओमा॑त्रां कृ॒ष्टयो॑ विदुः ।
असो॒ नु क॑म॒जरो॒ वर्धा॑श्च॒ विश्वेदे॒ता सव॑ना तूतु॒मा कृ॑षे ॥५॥
ए॒ता विश्वा॒ सव॑ना तूतु॒मा कृ॑षे स्व॒यं सू॑नो सहसो॒ यानि॑ दधि॒षे ।
वरा॑य ते॒ पात्रं॒ धर्म॑णे॒ तना॑ य॒ज्ञो मन्त्रो॒ ब्रह्मोद्य॑तं॒ वच॑: ॥६॥
ये ते॑ विप्र ब्रह्म॒कृत॑: सु॒ते सचा॒ वसू॑नां च॒ वसु॑नश्च दा॒वने॑ ।
प्र ते सु॒म्नस्य॒ मन॑सा प॒था भु॑व॒न्मदे॑ सु॒तस्य॑ सो॒म्यस्यान्ध॑सः ॥७॥