SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 144
A
A+
६ तार्क्ष्र्यः सुपर्णः, यामायन ऊर्ध्वकृशनो वा। इन्द्रः। गायत्री, २ बृहती, ५ सतोबृहती, ६ विष्टारपंक्तिः।
अ॒यं हि ते॒ अम॑र्त्य॒ इन्दु॒रत्यो॒ न पत्य॑ते । दक्षो॑ वि॒श्वायु॑र्वे॒धसे॑ ॥१॥
अ॒यम॒स्मासु॒ काव्य॑ ऋ॒भुर्वज्रो॒ दास्व॑ते । अ॒यं बि॑भर्त्यू॒र्ध्वकृ॑शनं॒ मद॑मृ॒भुर्न कृत्व्यं॒ मद॑म् ॥२॥
घृषु॑: श्ये॒नाय॒ कृत्व॑न आ॒सु स्वासु॒ वंस॑गः । अव॑ दीधेदही॒शुव॑: ॥३॥
यं सु॑प॒र्णः प॑रा॒वत॑: श्ये॒नस्य॑ पु॒त्र आभ॑रत् । श॒तच॑क्रं॒ यो॒३ऽह्यो॑ वर्त॒निः ॥४॥
यं ते॑ श्ये॒नश्चारु॑मवृ॒कं प॒दाभ॑रदरु॒णं मा॒नमन्ध॑सः ।
ए॒ना वयो॒ वि ता॒र्यायु॑र्जी॒वस॑ ए॒ना जा॑गार ब॒न्धुता॑ ॥५॥
ए॒वा तदिन्द्र॒ इन्दु॑ना दे॒वेषु॑ चिद्धारयाते॒ महि॒ त्यज॑: ।
क्रत्वा॒ वयो॒ वि ता॒र्यायु॑: सुक्रतो॒ क्रत्वा॒यम॒स्मदा सु॒तः ॥६॥
अ॒यं हि ते॒ अम॑र्त्य॒ इन्दु॒रत्यो॒ न पत्य॑ते । दक्षो॑ वि॒श्वायु॑र्वे॒धसे॑ ॥१॥
अ॒यम॒स्मासु॒ काव्य॑ ऋ॒भुर्वज्रो॒ दास्व॑ते । अ॒यं बि॑भर्त्यू॒र्ध्वकृ॑शनं॒ मद॑मृ॒भुर्न कृत्व्यं॒ मद॑म् ॥२॥
घृषु॑: श्ये॒नाय॒ कृत्व॑न आ॒सु स्वासु॒ वंस॑गः । अव॑ दीधेदही॒शुव॑: ॥३॥
यं सु॑प॒र्णः प॑रा॒वत॑: श्ये॒नस्य॑ पु॒त्र आभ॑रत् । श॒तच॑क्रं॒ यो॒३ऽह्यो॑ वर्त॒निः ॥४॥
यं ते॑ श्ये॒नश्चारु॑मवृ॒कं प॒दाभ॑रदरु॒णं मा॒नमन्ध॑सः ।
ए॒ना वयो॒ वि ता॒र्यायु॑र्जी॒वस॑ ए॒ना जा॑गार ब॒न्धुता॑ ॥५॥
ए॒वा तदिन्द्र॒ इन्दु॑ना दे॒वेषु॑ चिद्धारयाते॒ महि॒ त्यज॑: ।
क्रत्वा॒ वयो॒ वि ता॒र्यायु॑: सुक्रतो॒ क्रत्वा॒यम॒स्मदा सु॒तः ॥६॥