SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 140
A
A+
६ अग्निः पावकः। अग्निः। सतोबृहती, १-२ विष्टारपंक्तिः, ६ उपरिष्टाज्ज्योतिः।
अग्ने॒ तव॒ श्रवो॒ वयो॒ महि॑ भ्राजन्ते अ॒र्चयो॑ विभावसो ।
बृह॑द्भानो॒ शव॑सा॒ वाज॑मु॒क्थ्यं१ दधा॑सि दा॒शुषे॑ कवे ॥१॥
पा॒व॒कव॑र्चाः शु॒क्रव॑र्चा॒ अनू॑नवर्चा॒ उदि॑यर्षि भा॒नुना॑ ।
पु॒त्रो मा॒तरा॑ वि॒चर॒न्नुपा॑वसि पृ॒णक्षि॒ रोद॑सी उ॒भे ॥२॥
ऊर्जो॑ नपाज्जातवेदः सुश॒स्तिभि॒र्मन्द॑स्व धी॒तिभि॑र्हि॒तः ।
त्वे इष॒: सं द॑धु॒र्भूरि॑वर्पसश्चि॒त्रोत॑यो वा॒मजा॑ताः ॥३॥
इ॒र॒ज्यन्न॑ग्ने प्रथयस्व ज॒न्तुभि॑र॒स्मे रायो॑ अमर्त्य ।
स द॑र्श॒तस्य॒ वपु॑षो॒ वि रा॑जसि पृ॒णक्षि॑ सान॒सिं क्रतु॑म् ॥४॥
इ॒ष्क॒र्तार॑मध्व॒रस्य॒ प्रचे॑तसं॒ क्षय॑न्तं॒ राध॑सो म॒हः ।
रा॒तिं वा॒मस्य॑ सु॒भगां॑ म॒हीमिषं॒ दधा॑सि सान॒सिं र॒यिम् ॥५॥
ऋ॒तावा॑नं महि॒षं वि॒श्वद॑र्शतम॒ग्निं सु॒म्नाय॑ दधिरे पु॒रो जना॑: ।
श्रुत्क॑र्णं स॒प्रथ॑स्तमं त्वा गि॒रा दैव्यं॒ मानु॑षा यु॒गा ॥६॥
अग्ने॒ तव॒ श्रवो॒ वयो॒ महि॑ भ्राजन्ते अ॒र्चयो॑ विभावसो ।
बृह॑द्भानो॒ शव॑सा॒ वाज॑मु॒क्थ्यं१ दधा॑सि दा॒शुषे॑ कवे ॥१॥
पा॒व॒कव॑र्चाः शु॒क्रव॑र्चा॒ अनू॑नवर्चा॒ उदि॑यर्षि भा॒नुना॑ ।
पु॒त्रो मा॒तरा॑ वि॒चर॒न्नुपा॑वसि पृ॒णक्षि॒ रोद॑सी उ॒भे ॥२॥
ऊर्जो॑ नपाज्जातवेदः सुश॒स्तिभि॒र्मन्द॑स्व धी॒तिभि॑र्हि॒तः ।
त्वे इष॒: सं द॑धु॒र्भूरि॑वर्पसश्चि॒त्रोत॑यो वा॒मजा॑ताः ॥३॥
इ॒र॒ज्यन्न॑ग्ने प्रथयस्व ज॒न्तुभि॑र॒स्मे रायो॑ अमर्त्य ।
स द॑र्श॒तस्य॒ वपु॑षो॒ वि रा॑जसि पृ॒णक्षि॑ सान॒सिं क्रतु॑म् ॥४॥
इ॒ष्क॒र्तार॑मध्व॒रस्य॒ प्रचे॑तसं॒ क्षय॑न्तं॒ राध॑सो म॒हः ।
रा॒तिं वा॒मस्य॑ सु॒भगां॑ म॒हीमिषं॒ दधा॑सि सान॒सिं र॒यिम् ॥५॥
ऋ॒तावा॑नं महि॒षं वि॒श्वद॑र्शतम॒ग्निं सु॒म्नाय॑ दधिरे पु॒रो जना॑: ।
श्रुत्क॑र्णं स॒प्रथ॑स्तमं त्वा गि॒रा दैव्यं॒ मानु॑षा यु॒गा ॥६॥