SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 138
A
A+
६ अंग औरवः।इन्द्रः। जगती।
तव॒ त्य इ॑न्द्र स॒ख्येषु॒ वह्न॑य ऋ॒तं म॑न्वा॒ना व्य॑दर्दिरुर्व॒लम् ।
यत्रा॑ दश॒स्यन्नु॒षसो॑ रि॒णन्न॒पः कुत्सा॑य॒ मन्म॑न्न॒ह्य॑श्च दं॒सय॑: ॥१॥
अवा॑सृजः प्र॒स्व॑: श्व॒ञ्चयो॑ गि॒रीनुदा॑ज उ॒स्रा अपि॑बो॒ मधु॑ प्रि॒यम् ।
अव॑र्धयो व॒निनो॑ अस्य॒ दंस॑सा शु॒शोच॒ सूर्य॑ ऋ॒तजा॑तया गि॒रा ॥२॥
वि सूर्यो॒ मध्ये॑ अमुच॒द्रथं॑ दि॒वो वि॒दद्दा॒साय॑ प्रति॒मान॒मार्य॑: ।
दृ॒ळ्हानि॒ पिप्रो॒रसु॑रस्य मा॒यिन॒ इन्द्रो॒ व्या॑स्यच्चकृ॒वाँ ऋ॒जिश्व॑ना ॥३॥
अना॑धृष्टानि धृषि॒तो व्या॑स्यन्नि॒धीँरदे॑वाँ अमृणद॒यास्य॑: ।
मा॒सेव॒ सूर्यो॒ वसु॒ पुर्य॒मा द॑दे गृणा॒नः शत्रूँ॑रशृणाद्वि॒रुक्म॑ता ॥४॥
अयु॑द्धसेनो वि॒भ्वा॑ विभिन्द॒ता दाश॑द्वृत्र॒हा तुज्या॑नि तेजते ।
इन्द्र॑स्य॒ वज्रा॑दबिभेदभि॒श्नथ॒: प्राक्रा॑मच्छु॒न्ध्यूरज॑हादु॒षा अन॑: ॥५॥
ए॒ता त्या ते॒ श्रुत्या॑नि॒ केव॑ला॒ यदेक॒ एक॒मकृ॑णोरय॒ज्ञम् ।
मा॒सां वि॒धान॑मदधा॒ अधि॒ द्यवि॒ त्वया॒ विभि॑न्नं भरति प्र॒धिं पि॒ता ॥६॥
तव॒ त्य इ॑न्द्र स॒ख्येषु॒ वह्न॑य ऋ॒तं म॑न्वा॒ना व्य॑दर्दिरुर्व॒लम् ।
यत्रा॑ दश॒स्यन्नु॒षसो॑ रि॒णन्न॒पः कुत्सा॑य॒ मन्म॑न्न॒ह्य॑श्च दं॒सय॑: ॥१॥
अवा॑सृजः प्र॒स्व॑: श्व॒ञ्चयो॑ गि॒रीनुदा॑ज उ॒स्रा अपि॑बो॒ मधु॑ प्रि॒यम् ।
अव॑र्धयो व॒निनो॑ अस्य॒ दंस॑सा शु॒शोच॒ सूर्य॑ ऋ॒तजा॑तया गि॒रा ॥२॥
वि सूर्यो॒ मध्ये॑ अमुच॒द्रथं॑ दि॒वो वि॒दद्दा॒साय॑ प्रति॒मान॒मार्य॑: ।
दृ॒ळ्हानि॒ पिप्रो॒रसु॑रस्य मा॒यिन॒ इन्द्रो॒ व्या॑स्यच्चकृ॒वाँ ऋ॒जिश्व॑ना ॥३॥
अना॑धृष्टानि धृषि॒तो व्या॑स्यन्नि॒धीँरदे॑वाँ अमृणद॒यास्य॑: ।
मा॒सेव॒ सूर्यो॒ वसु॒ पुर्य॒मा द॑दे गृणा॒नः शत्रूँ॑रशृणाद्वि॒रुक्म॑ता ॥४॥
अयु॑द्धसेनो वि॒भ्वा॑ विभिन्द॒ता दाश॑द्वृत्र॒हा तुज्या॑नि तेजते ।
इन्द्र॑स्य॒ वज्रा॑दबिभेदभि॒श्नथ॒: प्राक्रा॑मच्छु॒न्ध्यूरज॑हादु॒षा अन॑: ॥५॥
ए॒ता त्या ते॒ श्रुत्या॑नि॒ केव॑ला॒ यदेक॒ एक॒मकृ॑णोरय॒ज्ञम् ।
मा॒सां वि॒धान॑मदधा॒ अधि॒ द्यवि॒ त्वया॒ विभि॑न्नं भरति प्र॒धिं पि॒ता ॥६॥