SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 132
A
A+
७ शकपूतो नार्मेधः। मित्रावरुणौ, १ द्युभूम्यश्विनः। विराड्रूपा, १ न्यङ्कुसारिणी, २,६ प्रस्तारपंक्तिः, ७ महासतोबृहती।
ई॒जा॒नमिद्द्यौर्गू॒र्ताव॑सुरीजा॒नं भूमि॑र॒भि प्र॑भू॒षणि॑ ।
ई॒जा॒नं दे॒वाव॒श्विना॑व॒भि सु॒म्नैर॑वर्धताम् ॥१॥
ता वां॑ मित्रावरुणा धार॒यत्क्षि॑ती सुषु॒म्नेषि॑त॒त्वता॑ यजामसि ।
यु॒वोः क्रा॒णाय॑ स॒ख्यैर॒भि ष्या॑म र॒क्षस॑: ॥२॥
अधा॑ चि॒न्नु यद्दिधि॑षामहे वाम॒भि प्रि॒यं रेक्ण॒: पत्य॑मानाः ।
द॒द्वाँ वा॒ यत्पुष्य॑ति॒ रेक्ण॒: सम्वा॑र॒न्नकि॑रस्य म॒घानि॑ ॥३॥
अ॒साव॒न्यो अ॑सुर सूयत॒ द्यौस्त्वं विश्वे॑षां वरुणासि॒ राजा॑ ।
मू॒र्धा रथ॑स्य चाक॒न्नैताव॒तैन॑सान्तक॒ध्रुक् ॥४॥
अ॒स्मिन्त्स्वे॒३तच्छक॑पूत॒ एनो॑ हि॒ते मि॒त्रे निग॑तान्हन्ति वी॒रान् ।
अ॒वोर्वा॒ यद्धात्त॒नूष्वव॑: प्रि॒यासु॑ य॒ज्ञिया॒स्वर्वा॑ ॥५॥
यु॒वोर्हि मा॒तादि॑तिर्विचेतसा॒ द्यौर्न भूमि॒: पय॑सा पुपू॒तनि॑ ।
अव॑ प्रि॒या दि॑दिष्टन॒ सूरो॑ निनिक्त र॒श्मिभि॑: ॥६॥
यु॒वं ह्य॑प्न॒राजा॒वसी॑दतं॒ तिष्ठ॒द्रथं॒ न धू॒र्षदं॑ वन॒र्षद॑म् ।
ता न॑: कणूक॒यन्ती॑र्नृ॒मेध॑स्तत्रे॒ अंह॑सः सु॒मेध॑स्तत्रे॒ अंह॑सः ॥७॥
ई॒जा॒नमिद्द्यौर्गू॒र्ताव॑सुरीजा॒नं भूमि॑र॒भि प्र॑भू॒षणि॑ ।
ई॒जा॒नं दे॒वाव॒श्विना॑व॒भि सु॒म्नैर॑वर्धताम् ॥१॥
ता वां॑ मित्रावरुणा धार॒यत्क्षि॑ती सुषु॒म्नेषि॑त॒त्वता॑ यजामसि ।
यु॒वोः क्रा॒णाय॑ स॒ख्यैर॒भि ष्या॑म र॒क्षस॑: ॥२॥
अधा॑ चि॒न्नु यद्दिधि॑षामहे वाम॒भि प्रि॒यं रेक्ण॒: पत्य॑मानाः ।
द॒द्वाँ वा॒ यत्पुष्य॑ति॒ रेक्ण॒: सम्वा॑र॒न्नकि॑रस्य म॒घानि॑ ॥३॥
अ॒साव॒न्यो अ॑सुर सूयत॒ द्यौस्त्वं विश्वे॑षां वरुणासि॒ राजा॑ ।
मू॒र्धा रथ॑स्य चाक॒न्नैताव॒तैन॑सान्तक॒ध्रुक् ॥४॥
अ॒स्मिन्त्स्वे॒३तच्छक॑पूत॒ एनो॑ हि॒ते मि॒त्रे निग॑तान्हन्ति वी॒रान् ।
अ॒वोर्वा॒ यद्धात्त॒नूष्वव॑: प्रि॒यासु॑ य॒ज्ञिया॒स्वर्वा॑ ॥५॥
यु॒वोर्हि मा॒तादि॑तिर्विचेतसा॒ द्यौर्न भूमि॒: पय॑सा पुपू॒तनि॑ ।
अव॑ प्रि॒या दि॑दिष्टन॒ सूरो॑ निनिक्त र॒श्मिभि॑: ॥६॥
यु॒वं ह्य॑प्न॒राजा॒वसी॑दतं॒ तिष्ठ॒द्रथं॒ न धू॒र्षदं॑ वन॒र्षद॑म् ।
ता न॑: कणूक॒यन्ती॑र्नृ॒मेध॑स्तत्रे॒ अंह॑सः सु॒मेध॑स्तत्रे॒ अंह॑सः ॥७॥