SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 084
A
A+
७ मन्युस्तापसः। मन्युः। जगती,१-३ त्रिष्टुप्।
त्वया॑ मन्यो स॒रथ॑मारु॒जन्तो॒ हर्ष॑माणासो धृषि॒ता म॑रुत्वः ।
ति॒ग्मेष॑व॒ आयु॑धा सं॒शिशा॑ना अ॒भि प्र य॑न्तु॒ नरो॑ अ॒ग्निरू॑पाः ॥१॥
अ॒ग्निरि॑व मन्यो त्विषि॒तः स॑हस्व सेना॒नीर्न॑: सहुरे हू॒त ए॑धि ।
ह॒त्वाय॒ शत्रू॒न्वि भ॑जस्व॒ वेद॒ ओजो॒ मिमा॑नो॒ वि मृधो॑ नुदस्व ॥२॥
सह॑स्व मन्यो अ॒भिमा॑तिम॒स्मे रु॒जन्मृ॒णन्प्र॑मृ॒णन्प्रेहि॒ शत्रू॑न् ।
उ॒ग्रं ते॒ पाजो॑ न॒न्वा रु॑रुध्रे व॒शी वशं॑ नयस एकज॒ त्वम् ॥३॥
एको॑ बहू॒नाम॑सि मन्यवीळि॒तो विशं॑विशं यु॒धये॒ सं शि॑शाधि ।
अकृ॑त्तरु॒क्त्वया॑ यु॒जा व॒यं द्यु॒मन्तं॒ घोषं॑ विज॒याय॑ कृण्महे ॥४॥
वि॒जे॒ष॒कृदिन्द्र॑ इवानवब्र॒वो॒३ऽस्माकं॑ मन्यो अधि॒पा भ॑वे॒ह ।
प्रि॒यं ते॒ नाम॑ सहुरे गृणीमसि वि॒द्मा तमुत्सं॒ यत॑ आब॒भूथ॑ ॥५॥
आभू॑त्या सह॒जा व॑ज्र सायक॒ सहो॑ बिभर्ष्यभिभूत॒ उत्त॑रम् ।
क्रत्वा॑ नो मन्यो स॒ह मे॒द्ये॑धि महाध॒नस्य॑ पुरुहूत सं॒सृजि॑ ॥६॥
संसृ॑ष्टं॒ धन॑मु॒भयं॑ स॒माकृ॑तम॒स्मभ्यं॑ दत्तां॒ वरु॑णश्च म॒न्युः ।
भियं॒ दधा॑ना॒ हृद॑येषु॒ शत्र॑व॒: परा॑जितासो॒ अप॒ नि ल॑यन्ताम् ॥७॥
त्वया॑ मन्यो स॒रथ॑मारु॒जन्तो॒ हर्ष॑माणासो धृषि॒ता म॑रुत्वः ।
ति॒ग्मेष॑व॒ आयु॑धा सं॒शिशा॑ना अ॒भि प्र य॑न्तु॒ नरो॑ अ॒ग्निरू॑पाः ॥१॥
अ॒ग्निरि॑व मन्यो त्विषि॒तः स॑हस्व सेना॒नीर्न॑: सहुरे हू॒त ए॑धि ।
ह॒त्वाय॒ शत्रू॒न्वि भ॑जस्व॒ वेद॒ ओजो॒ मिमा॑नो॒ वि मृधो॑ नुदस्व ॥२॥
सह॑स्व मन्यो अ॒भिमा॑तिम॒स्मे रु॒जन्मृ॒णन्प्र॑मृ॒णन्प्रेहि॒ शत्रू॑न् ।
उ॒ग्रं ते॒ पाजो॑ न॒न्वा रु॑रुध्रे व॒शी वशं॑ नयस एकज॒ त्वम् ॥३॥
एको॑ बहू॒नाम॑सि मन्यवीळि॒तो विशं॑विशं यु॒धये॒ सं शि॑शाधि ।
अकृ॑त्तरु॒क्त्वया॑ यु॒जा व॒यं द्यु॒मन्तं॒ घोषं॑ विज॒याय॑ कृण्महे ॥४॥
वि॒जे॒ष॒कृदिन्द्र॑ इवानवब्र॒वो॒३ऽस्माकं॑ मन्यो अधि॒पा भ॑वे॒ह ।
प्रि॒यं ते॒ नाम॑ सहुरे गृणीमसि वि॒द्मा तमुत्सं॒ यत॑ आब॒भूथ॑ ॥५॥
आभू॑त्या सह॒जा व॑ज्र सायक॒ सहो॑ बिभर्ष्यभिभूत॒ उत्त॑रम् ।
क्रत्वा॑ नो मन्यो स॒ह मे॒द्ये॑धि महाध॒नस्य॑ पुरुहूत सं॒सृजि॑ ॥६॥
संसृ॑ष्टं॒ धन॑मु॒भयं॑ स॒माकृ॑तम॒स्मभ्यं॑ दत्तां॒ वरु॑णश्च म॒न्युः ।
भियं॒ दधा॑ना॒ हृद॑येषु॒ शत्र॑व॒: परा॑जितासो॒ अप॒ नि ल॑यन्ताम् ॥७॥