SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 045
A
A+
६ अयास्य आङ्गिरस: । पवमान: सोम: । गायत्री ।
स प॑वस्व॒ मदा॑य॒ कं नृ॒चक्षा॑ दे॒ववी॑तये । इन्द॒विन्द्रा॑य पी॒तये॑ ॥१॥
स नो॑ अर्षा॒भि दू॒त्यं१ त्वमिन्द्रा॑य तोशसे । दे॒वान्त्सखि॑भ्य॒ आ वर॑म् ॥२॥
उ॒त त्वाम॑रु॒णं व॒यं गोभि॑रञ्ज्मो॒ मदा॑य॒ कम् । वि नो॑ रा॒ये दुरो॑ वृधि ॥३॥
अत्यू॑ प॒वित्र॑मक्रमीद्वा॒जी धुरं॒ न याम॑नि । इन्दु॑र्दे॒वेषु॑ पत्यते ॥४॥
समी॒ सखा॑यो अस्वर॒न्वने॒ क्रीळ॑न्त॒मत्य॑विम् । इन्दुं॑ ना॒वा अ॑नूषत ॥५॥
तया॑ पवस्व॒ धार॑या॒ यया॑ पी॒तो वि॒चक्ष॑से । इन्दो॑ स्तो॒त्रे सु॒वीर्य॑म् ॥६॥
स प॑वस्व॒ मदा॑य॒ कं नृ॒चक्षा॑ दे॒ववी॑तये । इन्द॒विन्द्रा॑य पी॒तये॑ ॥१॥
स नो॑ अर्षा॒भि दू॒त्यं१ त्वमिन्द्रा॑य तोशसे । दे॒वान्त्सखि॑भ्य॒ आ वर॑म् ॥२॥
उ॒त त्वाम॑रु॒णं व॒यं गोभि॑रञ्ज्मो॒ मदा॑य॒ कम् । वि नो॑ रा॒ये दुरो॑ वृधि ॥३॥
अत्यू॑ प॒वित्र॑मक्रमीद्वा॒जी धुरं॒ न याम॑नि । इन्दु॑र्दे॒वेषु॑ पत्यते ॥४॥
समी॒ सखा॑यो अस्वर॒न्वने॒ क्रीळ॑न्त॒मत्य॑विम् । इन्दुं॑ ना॒वा अ॑नूषत ॥५॥
तया॑ पवस्व॒ धार॑या॒ यया॑ पी॒तो वि॒चक्ष॑से । इन्दो॑ स्तो॒त्रे सु॒वीर्य॑म् ॥६॥