SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 09
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
- 088
- 089
- 090
- 091
- 092
- 093
- 094
- 095
- 096
- 097
- 098
- 099
- 100
- 101
- 102
- 103
- 104
- 105
- 106
- 107
- 108
- 109
- 110
- 111
- 112
- 113
- 114
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 111
A
A+
३ अनानत: पारुच्छेपि: । पवमान: सोम: ।अत्यष्टि: ।
अ॒या रु॒चा हरि॑ण्या पुना॒नो विश्वा॒ द्वेषां॑सि तरति स्व॒युग्व॑भि॒: सूरो॒ न स्व॒युग्व॑भिः ।
धारा॑ सु॒तस्य॑ रोचते पुना॒नो अ॑रु॒षो हरि॑: । विश्वा॒ यद्रू॒पा प॑रि॒यात्यृक्व॑भिः स॒प्तास्ये॑भि॒ॠक्व॑भिः ॥१॥
त्वं त्यत्प॑णी॒नां वि॑दो॒ वसु॒ सं मा॒तृभि॑र्मर्जयसि॒ स्व आ दम॑ ऋ॒तस्य॑ धी॒तिभि॒र्दमे॑ ।
प॒रा॒वतो॒ न साम॒ तद्यत्रा॒ रण॑न्ति धी॒तय॑: । त्रि॒धातु॑भि॒ररु॑षीभि॒र्वयो॑ दधे॒ रोच॑मानो॒ वयो॑ दधे ॥२॥
पूर्वा॒मनु॑ प्र॒दिशं॑ याति॒ चेकि॑त॒त्सं र॒श्मिभि॑र्यतते दर्श॒तो रथो॒ दैव्यो॑ दर्श॒तो रथ॑: ।
अग्म॑न्नु॒क्थानि॒ पौंस्येन्द्रं॒ जैत्रा॑य हर्षयन् । वज्र॑श्च॒ यद्भव॑थो॒ अन॑पच्युता स॒मत्स्वन॑पच्युता ॥३॥
अ॒या रु॒चा हरि॑ण्या पुना॒नो विश्वा॒ द्वेषां॑सि तरति स्व॒युग्व॑भि॒: सूरो॒ न स्व॒युग्व॑भिः ।
धारा॑ सु॒तस्य॑ रोचते पुना॒नो अ॑रु॒षो हरि॑: । विश्वा॒ यद्रू॒पा प॑रि॒यात्यृक्व॑भिः स॒प्तास्ये॑भि॒ॠक्व॑भिः ॥१॥
त्वं त्यत्प॑णी॒नां वि॑दो॒ वसु॒ सं मा॒तृभि॑र्मर्जयसि॒ स्व आ दम॑ ऋ॒तस्य॑ धी॒तिभि॒र्दमे॑ ।
प॒रा॒वतो॒ न साम॒ तद्यत्रा॒ रण॑न्ति धी॒तय॑: । त्रि॒धातु॑भि॒ररु॑षीभि॒र्वयो॑ दधे॒ रोच॑मानो॒ वयो॑ दधे ॥२॥
पूर्वा॒मनु॑ प्र॒दिशं॑ याति॒ चेकि॑त॒त्सं र॒श्मिभि॑र्यतते दर्श॒तो रथो॒ दैव्यो॑ दर्श॒तो रथ॑: ।
अग्म॑न्नु॒क्थानि॒ पौंस्येन्द्रं॒ जैत्रा॑य हर्षयन् । वज्र॑श्च॒ यद्भव॑थो॒ अन॑पच्युता स॒मत्स्वन॑पच्युता ॥३॥