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SELECT SUKTA OF MANDALA 09
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 091
A
A+
६ कश्यपो मारीच: । पवमान: सोम: । त्रिष्टुप् ।
अस॑र्जि॒ वक्वा॒ रथ्ये॒ यथा॒जौ धि॒या म॒नोता॑ प्रथ॒मो म॑नी॒षी ।
दश॒ स्वसा॑रो॒ अधि॒ सानो॒ अव्येऽज॑न्ति॒ वह्निं॒ सद॑ना॒न्यच्छ॑ ॥१॥
वी॒ती जन॑स्य दि॒व्यस्य॑ क॒व्यैरधि॑ सुवा॒नो न॑हु॒ष्ये॑भि॒रिन्दु॑: ।
प्र यो नृभि॑र॒मृतो॒ मर्त्ये॑भिर्मर्मृजा॒नोऽवि॑भि॒र्गोभि॑र॒द्भिः ॥२॥
वृषा॒ वृष्णे॒ रोरु॑वदं॒शुर॑स्मै॒ पव॑मानो॒ रुश॑दीर्ते॒ पयो॒ गोः ।
स॒हस्र॒मृक्वा॑ प॒थिभि॑र्वचो॒विद॑ध्व॒स्मभि॒: सूरो॒ अण्वं॒ वि या॑ति ॥३॥
रु॒जा दृ॒ळ्हा चि॑द्र॒क्षस॒: सदां॑सि पुना॒न इ॑न्द ऊर्णुहि॒ वि वाजा॑न् ।
वृ॒श्चोपरि॑ष्टात्तुज॒ता व॒धेन॒ ये अन्ति॑ दू॒रादु॑पना॒यमे॑षाम् ॥४॥
स प्र॑त्न॒वन्नव्य॑से विश्ववार सू॒क्ताय॑ प॒थः कृ॑णुहि॒ प्राच॑: ।
ये दु॒:षहा॑सो व॒नुषा॑ बृ॒हन्त॒स्ताँस्ते॑ अश्याम पुरुकृत्पुरुक्षो ॥५॥
ए॒वा पु॑ना॒नो अ॒पः स्व१र्गा अ॒स्मभ्यं॑ तो॒का तन॑यानि॒ भूरि॑ ।
शं न॒: क्षेत्र॑मु॒रु ज्योतीं॑षि सोम॒ ज्योङ्न॒: सूर्यं॑ दृ॒शये॑ रिरीहि ॥६॥
अस॑र्जि॒ वक्वा॒ रथ्ये॒ यथा॒जौ धि॒या म॒नोता॑ प्रथ॒मो म॑नी॒षी ।
दश॒ स्वसा॑रो॒ अधि॒ सानो॒ अव्येऽज॑न्ति॒ वह्निं॒ सद॑ना॒न्यच्छ॑ ॥१॥
वी॒ती जन॑स्य दि॒व्यस्य॑ क॒व्यैरधि॑ सुवा॒नो न॑हु॒ष्ये॑भि॒रिन्दु॑: ।
प्र यो नृभि॑र॒मृतो॒ मर्त्ये॑भिर्मर्मृजा॒नोऽवि॑भि॒र्गोभि॑र॒द्भिः ॥२॥
वृषा॒ वृष्णे॒ रोरु॑वदं॒शुर॑स्मै॒ पव॑मानो॒ रुश॑दीर्ते॒ पयो॒ गोः ।
स॒हस्र॒मृक्वा॑ प॒थिभि॑र्वचो॒विद॑ध्व॒स्मभि॒: सूरो॒ अण्वं॒ वि या॑ति ॥३॥
रु॒जा दृ॒ळ्हा चि॑द्र॒क्षस॒: सदां॑सि पुना॒न इ॑न्द ऊर्णुहि॒ वि वाजा॑न् ।
वृ॒श्चोपरि॑ष्टात्तुज॒ता व॒धेन॒ ये अन्ति॑ दू॒रादु॑पना॒यमे॑षाम् ॥४॥
स प्र॑त्न॒वन्नव्य॑से विश्ववार सू॒क्ताय॑ प॒थः कृ॑णुहि॒ प्राच॑: ।
ये दु॒:षहा॑सो व॒नुषा॑ बृ॒हन्त॒स्ताँस्ते॑ अश्याम पुरुकृत्पुरुक्षो ॥५॥
ए॒वा पु॑ना॒नो अ॒पः स्व१र्गा अ॒स्मभ्यं॑ तो॒का तन॑यानि॒ भूरि॑ ।
शं न॒: क्षेत्र॑मु॒रु ज्योतीं॑षि सोम॒ ज्योङ्न॒: सूर्यं॑ दृ॒शये॑ रिरीहि ॥६॥