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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 09 Sukta 013
A
A+
९ काश्यपोऽसितो देवलो वा । पवमान: सोम: । गायत्री ।
सोम॑: पुना॒नो अ॑र्षति स॒हस्र॑धारो॒ अत्य॑विः । वा॒योरिन्द्र॑स्य निष्कृ॒तम् ॥१॥
पव॑मानमवस्यवो॒ विप्र॑म॒भि प्र गा॑यत । सु॒ष्वा॒णं दे॒ववी॑तये ॥२॥
पव॑न्ते॒ वाज॑सातये॒ सोमा॑: स॒हस्र॑पाजसः । गृ॒णा॒ना दे॒ववी॑तये ॥३॥
उ॒त नो॒ वाज॑सातये॒ पव॑स्व बृह॒तीरिष॑: । द्यु॒मदि॑न्दो सु॒वीर्य॑म् ॥४॥
ते न॑: सह॒स्रिणं॑ र॒यिं पव॑न्ता॒मा सु॒वीर्य॑म् । सु॒वा॒ना दे॒वास॒ इन्द॑वः ॥५॥
अत्या॑ हिया॒ना न हे॒तृभि॒रसृ॑ग्रं॒ वाज॑सातये । वि वार॒मव्य॑मा॒शव॑: ॥६॥
वा॒श्रा अ॑र्ष॒न्तीन्द॑वो॒ऽभि व॒त्सं न धे॒नव॑: । द॒ध॒न्वि॒रे गभ॑स्त्योः ॥७॥
जुष्ट॒ इन्द्रा॑य मत्स॒रः पव॑मान॒ कनि॑क्रदत् । विश्वा॒ अप॒ द्विषो॑ जहि ॥८॥
अ॒प॒घ्नन्तो॒ अरा॑व्ण॒: पव॑मानाः स्व॒र्दृश॑: । योना॑वृ॒तस्य॑ सीदत ॥९॥
सोम॑: पुना॒नो अ॑र्षति स॒हस्र॑धारो॒ अत्य॑विः । वा॒योरिन्द्र॑स्य निष्कृ॒तम् ॥१॥
पव॑मानमवस्यवो॒ विप्र॑म॒भि प्र गा॑यत । सु॒ष्वा॒णं दे॒ववी॑तये ॥२॥
पव॑न्ते॒ वाज॑सातये॒ सोमा॑: स॒हस्र॑पाजसः । गृ॒णा॒ना दे॒ववी॑तये ॥३॥
उ॒त नो॒ वाज॑सातये॒ पव॑स्व बृह॒तीरिष॑: । द्यु॒मदि॑न्दो सु॒वीर्य॑म् ॥४॥
ते न॑: सह॒स्रिणं॑ र॒यिं पव॑न्ता॒मा सु॒वीर्य॑म् । सु॒वा॒ना दे॒वास॒ इन्द॑वः ॥५॥
अत्या॑ हिया॒ना न हे॒तृभि॒रसृ॑ग्रं॒ वाज॑सातये । वि वार॒मव्य॑मा॒शव॑: ॥६॥
वा॒श्रा अ॑र्ष॒न्तीन्द॑वो॒ऽभि व॒त्सं न धे॒नव॑: । द॒ध॒न्वि॒रे गभ॑स्त्योः ॥७॥
जुष्ट॒ इन्द्रा॑य मत्स॒रः पव॑मान॒ कनि॑क्रदत् । विश्वा॒ अप॒ द्विषो॑ जहि ॥८॥
अ॒प॒घ्नन्तो॒ अरा॑व्ण॒: पव॑मानाः स्व॒र्दृश॑: । योना॑वृ॒तस्य॑ सीदत ॥९॥