SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 026
A
A+
९ ऐन्द्रो विमदः, प्राजापत्यो वा, वासुक्रो वसुकृद्वा।पूषा। अनुष्टुप् ,१,४ उष्णिक्।
प्र ह्यच्छा॑ मनी॒षा स्पा॒र्हा यन्ति॑ नि॒युत॑: । प्र द॒स्रा नि॒युद्र॑थः पू॒षा अ॑विष्टु॒ माहि॑नः ॥१॥
यस्य॒ त्यन्म॑हि॒त्वं वा॒ताप्य॑म॒यं जन॑: । विप्र॒ आ वं॑सद्धी॒तिभि॒श्चिके॑त सुष्टुती॒नाम् ॥२॥
स वे॑द सुष्टुती॒नामिन्दु॒र्न पू॒षा वृषा॑ । अ॒भि प्सुर॑: प्रुषायति व्र॒जं न॒ आ प्रु॑षायति ॥३॥
मं॒सी॒महि॑ त्वा व॒यम॒स्माकं॑ देव पूषन् । म॒ती॒नां च॒ साध॑नं॒ विप्रा॑णां चाध॒वम् ॥४॥
प्रत्य॑र्धिर्य॒ज्ञाना॑मश्वह॒यो रथा॑नाम् । ऋषि॒: स यो मनु॑र्हितो॒ विप्र॑स्य यावयत्स॒खः ॥५॥
आ॒धीष॑माणाया॒: पति॑: शु॒चाया॑श्च शु॒चस्य॑ च । वा॒सो॒वा॒योऽवी॑ना॒मा वासां॑सि॒ मर्मृ॑जत् ॥६॥
इ॒नो वाजा॑नां॒ पति॑रि॒नः पु॑ष्टी॒नां सखा॑ । प्र श्मश्रु॑ हर्य॒तो दू॑धो॒द्वि वृथा॒ यो अदा॑भ्यः ॥७॥
आ ते॒ रथ॑स्य पूषन्न॒जा धुरं॑ ववृत्युः । विश्व॑स्या॒र्थिन॒: सखा॑ सनो॒जा अन॑पच्युतः ॥८॥
अ॒स्माक॑मू॒र्जा रथं॑ पू॒षा अ॑विष्टु॒ माहि॑नः । भुव॒द्वाजा॑नां वृ॒ध इ॒मं न॑: शृणव॒द्धव॑म् ॥९॥
प्र ह्यच्छा॑ मनी॒षा स्पा॒र्हा यन्ति॑ नि॒युत॑: । प्र द॒स्रा नि॒युद्र॑थः पू॒षा अ॑विष्टु॒ माहि॑नः ॥१॥
यस्य॒ त्यन्म॑हि॒त्वं वा॒ताप्य॑म॒यं जन॑: । विप्र॒ आ वं॑सद्धी॒तिभि॒श्चिके॑त सुष्टुती॒नाम् ॥२॥
स वे॑द सुष्टुती॒नामिन्दु॒र्न पू॒षा वृषा॑ । अ॒भि प्सुर॑: प्रुषायति व्र॒जं न॒ आ प्रु॑षायति ॥३॥
मं॒सी॒महि॑ त्वा व॒यम॒स्माकं॑ देव पूषन् । म॒ती॒नां च॒ साध॑नं॒ विप्रा॑णां चाध॒वम् ॥४॥
प्रत्य॑र्धिर्य॒ज्ञाना॑मश्वह॒यो रथा॑नाम् । ऋषि॒: स यो मनु॑र्हितो॒ विप्र॑स्य यावयत्स॒खः ॥५॥
आ॒धीष॑माणाया॒: पति॑: शु॒चाया॑श्च शु॒चस्य॑ च । वा॒सो॒वा॒योऽवी॑ना॒मा वासां॑सि॒ मर्मृ॑जत् ॥६॥
इ॒नो वाजा॑नां॒ पति॑रि॒नः पु॑ष्टी॒नां सखा॑ । प्र श्मश्रु॑ हर्य॒तो दू॑धो॒द्वि वृथा॒ यो अदा॑भ्यः ॥७॥
आ ते॒ रथ॑स्य पूषन्न॒जा धुरं॑ ववृत्युः । विश्व॑स्या॒र्थिन॒: सखा॑ सनो॒जा अन॑पच्युतः ॥८॥
अ॒स्माक॑मू॒र्जा रथं॑ पू॒षा अ॑विष्टु॒ माहि॑नः । भुव॒द्वाजा॑नां वृ॒ध इ॒मं न॑: शृणव॒द्धव॑म् ॥९॥