SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 013
A
A+
५ आङ्गिर्हविर्धानः। विवस्वानादित्यो वा। हविर्धाने। त्रिष्टुप्, ५ जगती।
यु॒जे वां॒ ब्रह्म॑ पू॒र्व्यं नमो॑भि॒र्वि श्लोक॑ एतु प॒थ्ये॑व सू॒रेः ।
शृ॒ण्वन्तु॒ विश्वे॑ अ॒मृत॑स्य पु॒त्रा आ ये धामा॑नि दि॒व्यानि॑ त॒स्थुः ॥१॥
य॒मे इ॑व॒ यत॑माने॒ यदैतं॒ प्र वां॑ भर॒न्मानु॑षा देव॒यन्त॑: ।
आ सी॑दतं॒ स्वमु॑ लो॒कं विदा॑ने स्वास॒स्थे भ॑वत॒मिन्द॑वे नः ॥२॥
पञ्च॑ प॒दानि॑ रु॒पो अन्व॑रोहं॒ चतु॑ष्पदी॒मन्वे॑मि व्र॒तेन॑ ।
अ॒क्षरे॑ण॒ प्रति॑ मिम ए॒तामृ॒तस्य॒ नाभा॒वधि॒ सं पु॑नामि ॥३॥
दे॒वेभ्य॒: कम॑वृणीत मृ॒त्युं प्र॒जायै॒ कम॒मृतं॒ नावृ॑णीत ।
बृह॒स्पतिं॑ य॒ज्ञम॑कृण्वत॒ ऋषिं॑ प्रि॒यां य॒मस्त॒न्वं१ प्रारि॑रेचीत् ॥४॥
स॒प्त क्ष॑रन्ति॒ शिश॑वे म॒रुत्व॑ते पि॒त्रे पु॒त्रासो॒ अप्य॑वीवतन्नृ॒तम् ।
उ॒भे इद॑स्यो॒भय॑स्य राजत उ॒भे य॑तेते उ॒भय॑स्य पुष्यतः ॥५॥
यु॒जे वां॒ ब्रह्म॑ पू॒र्व्यं नमो॑भि॒र्वि श्लोक॑ एतु प॒थ्ये॑व सू॒रेः ।
शृ॒ण्वन्तु॒ विश्वे॑ अ॒मृत॑स्य पु॒त्रा आ ये धामा॑नि दि॒व्यानि॑ त॒स्थुः ॥१॥
य॒मे इ॑व॒ यत॑माने॒ यदैतं॒ प्र वां॑ भर॒न्मानु॑षा देव॒यन्त॑: ।
आ सी॑दतं॒ स्वमु॑ लो॒कं विदा॑ने स्वास॒स्थे भ॑वत॒मिन्द॑वे नः ॥२॥
पञ्च॑ प॒दानि॑ रु॒पो अन्व॑रोहं॒ चतु॑ष्पदी॒मन्वे॑मि व्र॒तेन॑ ।
अ॒क्षरे॑ण॒ प्रति॑ मिम ए॒तामृ॒तस्य॒ नाभा॒वधि॒ सं पु॑नामि ॥३॥
दे॒वेभ्य॒: कम॑वृणीत मृ॒त्युं प्र॒जायै॒ कम॒मृतं॒ नावृ॑णीत ।
बृह॒स्पतिं॑ य॒ज्ञम॑कृण्वत॒ ऋषिं॑ प्रि॒यां य॒मस्त॒न्वं१ प्रारि॑रेचीत् ॥४॥
स॒प्त क्ष॑रन्ति॒ शिश॑वे म॒रुत्व॑ते पि॒त्रे पु॒त्रासो॒ अप्य॑वीवतन्नृ॒तम् ।
उ॒भे इद॑स्यो॒भय॑स्य राजत उ॒भे य॑तेते उ॒भय॑स्य पुष्यतः ॥५॥