SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 10
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 10 Sukta 001
A
A+
७ त्रित आप्त्यः अग्निः। त्रिष्टुप्।
अग्रे॑ बृ॒हन्नु॒षसा॑मू॒र्ध्वो अ॑स्थान्निर्जग॒न्वान्तम॑सो॒ ज्योति॒षागा॑त् ।
अ॒ग्निर्भा॒नुना॒ रुश॑ता॒ स्वङ्ग॒ आ जा॒तो विश्वा॒ सद्मा॑न्यप्राः ॥१॥
स जा॒तो गर्भो॑ असि॒ रोद॑स्यो॒रग्ने॒ चारु॒र्विभृ॑त॒ ओष॑धीषु ।
चि॒त्रः शिशु॒: परि॒ तमां॑स्य॒क्तून्प्र मा॒तृभ्यो॒ अधि॒ कनि॑क्रदद्गाः ॥२॥
विष्णु॑रि॒त्था प॑र॒मम॑स्य वि॒द्वाञ्जा॒तो बृ॒हन्न॒भि पा॑ति तृ॒तीय॑म् ।
आ॒सा यद॑स्य॒ पयो॒ अक्र॑त॒ स्वं सचे॑तसो अ॒भ्य॑र्च॒न्त्यत्र॑ ॥३॥
अत॑ उ त्वा पितु॒भृतो॒ जनि॑त्रीरन्ना॒वृधं॒ प्रति॑ चर॒न्त्यन्नै॑: ।
ता ईं॒ प्रत्ये॑षि॒ पुन॑र॒न्यरू॑पा॒ असि॒ त्वं वि॒क्षु मानु॑षीषु॒ होता॑ ॥४॥
होता॑रं चि॒त्रर॑थमध्व॒रस्य॑ य॒ज्ञस्य॑यज्ञस्य के॒तुं रुश॑न्तम् ।
प्रत्य॑र्धिं दे॒वस्य॑देवस्य म॒ह्ना श्रि॒या त्व१ग्निमति॑थिं॒ जना॑नाम् ॥५॥
स तु वस्त्रा॒ण्यध॒ पेश॑नानि॒ वसा॑नो अ॒ग्निर्नाभा॑ पृथि॒व्याः ।
अ॒रु॒षो जा॒तः प॒द इळा॑याः पु॒रोहि॑तो राजन्यक्षी॒ह दे॒वान् ॥६॥
आ हि द्यावा॑पृथि॒वी अ॑ग्न उ॒भे सदा॑ पु॒त्रो न मा॒तरा॑ त॒तन्थ॑ ।
प्र या॒ह्यच्छो॑श॒तो य॑वि॒ष्ठाऽथा व॑ह सहस्ये॒ह दे॒वान् ॥७॥
अग्रे॑ बृ॒हन्नु॒षसा॑मू॒र्ध्वो अ॑स्थान्निर्जग॒न्वान्तम॑सो॒ ज्योति॒षागा॑त् ।
अ॒ग्निर्भा॒नुना॒ रुश॑ता॒ स्वङ्ग॒ आ जा॒तो विश्वा॒ सद्मा॑न्यप्राः ॥१॥
स जा॒तो गर्भो॑ असि॒ रोद॑स्यो॒रग्ने॒ चारु॒र्विभृ॑त॒ ओष॑धीषु ।
चि॒त्रः शिशु॒: परि॒ तमां॑स्य॒क्तून्प्र मा॒तृभ्यो॒ अधि॒ कनि॑क्रदद्गाः ॥२॥
विष्णु॑रि॒त्था प॑र॒मम॑स्य वि॒द्वाञ्जा॒तो बृ॒हन्न॒भि पा॑ति तृ॒तीय॑म् ।
आ॒सा यद॑स्य॒ पयो॒ अक्र॑त॒ स्वं सचे॑तसो अ॒भ्य॑र्च॒न्त्यत्र॑ ॥३॥
अत॑ उ त्वा पितु॒भृतो॒ जनि॑त्रीरन्ना॒वृधं॒ प्रति॑ चर॒न्त्यन्नै॑: ।
ता ईं॒ प्रत्ये॑षि॒ पुन॑र॒न्यरू॑पा॒ असि॒ त्वं वि॒क्षु मानु॑षीषु॒ होता॑ ॥४॥
होता॑रं चि॒त्रर॑थमध्व॒रस्य॑ य॒ज्ञस्य॑यज्ञस्य के॒तुं रुश॑न्तम् ।
प्रत्य॑र्धिं दे॒वस्य॑देवस्य म॒ह्ना श्रि॒या त्व१ग्निमति॑थिं॒ जना॑नाम् ॥५॥
स तु वस्त्रा॒ण्यध॒ पेश॑नानि॒ वसा॑नो अ॒ग्निर्नाभा॑ पृथि॒व्याः ।
अ॒रु॒षो जा॒तः प॒द इळा॑याः पु॒रोहि॑तो राजन्यक्षी॒ह दे॒वान् ॥६॥
आ हि द्यावा॑पृथि॒वी अ॑ग्न उ॒भे सदा॑ पु॒त्रो न मा॒तरा॑ त॒तन्थ॑ ।
प्र या॒ह्यच्छो॑श॒तो य॑वि॒ष्ठाऽथा व॑ह सहस्ये॒ह दे॒वान् ॥७॥