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SELECT SUKTA OF KANDA 20
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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 20 Sukta 020
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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(१-७) १-४ विश्वामित्रः, ५-७ गृत्समदः। इन्द्रः। गायत्री।
शु॒ष्मिन्त॑मं न ऊ॒तये॑ द्यु॒म्निनं॑ पाहि॒ जागृ॑विम्। इन्द्र॒ सोमं॑ शतक्रतो ॥१॥
इ॒न्द्रि॒याणि॑ शतक्रतो॒ या ते॒ जने॑षु प॒ञ्चसु॑ । इन्द्र॒ तानि॑ त॒ आ वृ॑णे ॥२॥
अग॑न्निन्द्र॒ श्रवो॑ बृ॒हद् द्यु॒म्नं द॑धिष्व दु॒ष्टर॑म्। उत् ते॒ शुष्मं॑ तिरामसि ॥३॥
अ॒र्वा॒वतो॑ न॒ आ ग॒ह्यथो॑ शक्र परा॒वतः॑ ।
उ॒ लो॒को यस्ते॑ अद्रिव॒ इन्द्रे॒ह तत॒ आ ग॑हि ॥४॥
इन्द्रो॑ अ॒ङ्गं म॒हद् भ॒यम॒भी षदप॑ चुच्यवत्। स हि स्थि॒रो विच॑र्षणिः ॥५॥
इन्द्र॑श्च मृ॒लया॑ति नो॒ न नः॑ प॒श्चाद॒घं न॑शत्। भ॒द्रं भ॑वाति नः पु॒रः ॥६॥
इन्द्र॒ आशा॑भ्य॒स्परि॒ सर्वा॑भ्यो॒ अभ॑यं करत्।जेता॒ शत्रू॑न् विच॑र्षणिः ॥७॥