Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 20 Sukta 132

By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.

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खिलानि ।
आदला॑बुक॒मेक॑कम्॥१॥
अला॑बुकं॒ निखा॑तकम्॥२॥
क॒र्क॒रि॒को निखा॑तकः ॥३॥
तद्वात॒ उन्म॑थायति॒ ॥४॥
कुला॑यं कृणवा॒दिति॑ ॥५॥
उ॒ग्रं व॑नि॒षदा॑ततम्॥६॥
न व॑निष॒दना॑ततम्॥७॥
क ए॑षां॒ कर्क॑री लिखत्॥८॥
क ए॑षां दु॒न्दुभिं॑ हनत्॥९॥
यदी॒यं ह॑न॒त्कथं॑ हनत्॥१०॥
दे॒वी ह॑न॒त्कुह॑नत्॥११॥
पर्या॑गारं॒ पुनः॑पुनः ॥१२॥
त्रीण्यु॒ष्ट्रस्य॒ नामा॑नि ॥१३॥
हि॒र॒ण्य इत्येके॑ अब्रवीत्॥१४॥
द्वौ वा॑ ये शिशवः ॥१५॥
नील॑शिखण्ड॒वाह॑नः ॥१६॥