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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 07 Sukta 040
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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सरस्वान्।
१-२ प्रस्कण्वः। सरस्वान्। १ भुरिक्, २ त्रिष्टुप्।
यस्य॑ व्र॒तं प॒शवो॒ यन्ति॒ सर्वे॒ यस्य॑ व्र॒त उ॑प॒तिष्ठ॑न्त॒ आपः॑ ।
यस्य॑ व्र॒ते पु॑ष्ट॒पति॒र्निवि॑ष्ट॒स्तं सर॑स्वन्त॒मव॑से हवामहे ॥१॥
आ प्र॒त्यञ्चं॑ दा॒शुषे॑ दा॒श्वंसं॒ सर॑स्वन्तं पुष्ट॒पतिं॑ रयि॒ष्ठाम्।
रा॒यस्पोषं॑ श्रव॒स्युं वसा॑ना इ॒ह हुवेम॒ सद॑नं रयी॒णाम्॥२॥