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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 07 Sukta 006
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
A
A+
अदितिः
१-४ अथर्वा (ब्रह्मवर्चसकामः) । अदितिः। त्रिष्टुप्, २ भुरिक्, ३-४ विराड् जगती।
अदि॑ति॒र्द्यौरदि॑तिर॒न्तरि॑क्ष॒मदि॑तिर्मा॒ता स पि॒ता स पु॒त्रः ।
विश्वे॑ दे॒वा अदि॑तिः॒ पञ्च॒ जना॒ अदि॑तिर्जा॒तमदि॑ति॒र्जनि॑त्वम्॥१॥
म॒हीमू॒ षु मा॒तरं॑ सुव्र॒ताना॑मृ॒तस्य॒ पत्नी॒मव॑से हवामहे ।
तु॒वि॒क्ष॒त्राम॒जर॑न्तीमुरू॒चीं सु॒शर्मा॑ण॒मदि॑तिं सु॒प्रणी॑तिम्॥२॥
सु॒त्रामा॑णं पृथि॒वीं द्याम॑ने॒हसं॑ सु॒शर्मा॑ण॒मदि॑तिं सु॒प्रणी॑तिम्।
दैवीं॒ नावं॑ स्वरि॒त्रामना॑गसो॒ अस्र॑वन्ती॒मा रु॑हेमा स्व॒स्तये॑ ॥३॥
वाज॑स्य॒ नु प्र॑स॒वे मा॒तरं॑ म॒हीमदि॑तिं॒ नाम॒ वच॑सा करामहे ।
यस्या॑ उ॒पस्थ॑ उ॒र्व॑१न्तरि॑क्षं॒ सा नः॒ शर्म॑ त्रि॒वरू॑थं॒ नि य॑च्छात्॥४॥