SELECT MANDALA
SELECT SUKTA OF MANDALA 05
- 001
- 002
- 003
- 004
- 005
- 006
- 007
- 008
- 009
- 010
- 011
- 012
- 013
- 014
- 015
- 016
- 017
- 018
- 019
- 020
- 021
- 022
- 023
- 024
- 025
- 026
- 027
- 028
- 029
- 030
- 031
- 032
- 033
- 034
- 035
- 036
- 037
- 038
- 039
- 040
- 041
- 042
- 043
- 044
- 045
- 046
- 047
- 048
- 049
- 050
- 051
- 052
- 053
- 054
- 055
- 056
- 057
- 058
- 059
- 060
- 061
- 062
- 063
- 064
- 065
- 066
- 067
- 068
- 069
- 070
- 071
- 072
- 073
- 074
- 075
- 076
- 077
- 078
- 079
- 080
- 081
- 082
- 083
- 084
- 085
- 086
- 087
Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 05 Sukta 067
A
A+
५ यजत आत्रेयः। मित्रावरुणौ। अनुष्टुप्।
बळि॒त्था दे॑व निष्कृ॒तमादि॑त्या यज॒तं बृ॒हत् । वरु॑ण॒ मित्रार्य॑म॒न् वर्षि॑ष्ठं क्ष॒त्रमा॑शाथे ॥१॥
आ यद् योनिं॑ हिर॒ण्ययं॒ वरु॑ण॒ मित्र॒ सद॑थः । ध॒र्तारा॑ चर्षणी॒नां य॒न्तं सु॒म्नं रि॑शादसा ॥२॥
विश्वे॒ हि वि॒श्ववे॑दसो॒ वरु॑णो मि॒त्रो अ॑र्य॒मा । व्र॒ता प॒देव॑ सश्चिरे॒ पान्ति॒ मर्त्यं॑ रि॒षः ॥३॥
ते हि स॒त्या ऋ॑त॒स्पृश॑ ऋ॒तावा॑नो॒ जने॑जने । सु॒नी॒थास॑: सु॒दान॑वों॒ऽहोश्चि॑दुरु॒चक्र॑यः ॥४॥
को नु वां॑ मि॒त्रास्तु॑तो॒ वरु॑णो वा त॒नूना॑म् । तत् सु वा॒मेष॑ते म॒तिरत्रि॑भ्य॒ एष॑ते म॒तिः ॥५॥
बळि॒त्था दे॑व निष्कृ॒तमादि॑त्या यज॒तं बृ॒हत् । वरु॑ण॒ मित्रार्य॑म॒न् वर्षि॑ष्ठं क्ष॒त्रमा॑शाथे ॥१॥
आ यद् योनिं॑ हिर॒ण्ययं॒ वरु॑ण॒ मित्र॒ सद॑थः । ध॒र्तारा॑ चर्षणी॒नां य॒न्तं सु॒म्नं रि॑शादसा ॥२॥
विश्वे॒ हि वि॒श्ववे॑दसो॒ वरु॑णो मि॒त्रो अ॑र्य॒मा । व्र॒ता प॒देव॑ सश्चिरे॒ पान्ति॒ मर्त्यं॑ रि॒षः ॥३॥
ते हि स॒त्या ऋ॑त॒स्पृश॑ ऋ॒तावा॑नो॒ जने॑जने । सु॒नी॒थास॑: सु॒दान॑वों॒ऽहोश्चि॑दुरु॒चक्र॑यः ॥४॥
को नु वां॑ मि॒त्रास्तु॑तो॒ वरु॑णो वा त॒नूना॑म् । तत् सु वा॒मेष॑ते म॒तिरत्रि॑भ्य॒ एष॑ते म॒तिः ॥५॥