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SELECT SUKTA OF MANDALA 05
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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 05 Sukta 066
A
A+
६ रातहव्य आत्रेयः। मित्रावरुणौ। अनुष्टुप्।
आ चि॑कितान सु॒क्रतू॑ दे॒वौ म॑र्त रि॒शाद॑सा । वरु॑णाय ऋ॒तपे॑शसे दधी॒त प्रय॑से म॒हे ॥१॥
ता हि क्ष॒त्रमवि॑ह्रुतं स॒म्यग॑सु॒र्य१माशा॑ते । अध॑ व्र॒तेव॒ मानु॑षं॒ स्व१र्ण धा॑यि दर्श॒तम् ॥२॥
ता वा॒मेषे॒ रथा॑नामु॒र्वीं गव्यू॑तिमेषाम् । रा॒तह॑व्यस्य सुष्टु॒तिं द॒धृक् स्तोमै॑र्मनामहे ॥३॥
अधा॒ हि काव्या॑ यु॒वं दक्ष॑स्य पू॒र्भिर॑द्भुता । नि के॒तुना॒ जना॑नां चि॒केथे॑ पूतदक्षसा ॥४॥
तदृ॒तं पृ॑थिवि बृ॒हच्छ्र॑वए॒ष ऋषी॑णाम् । ज्र॒य॒सा॒नावरं॑ पृ॒थ्वति॑ क्षरन्ति॒ याम॑भिः ॥५॥
आ यद् वा॑मीयचक्षसा॒ मित्र॑ व॒यं च॑ सू॒रय॑: । व्यचि॑ष्ठे बहु॒पाय्ये॒ यते॑महि स्व॒राज्ये॑ ॥६॥
आ चि॑कितान सु॒क्रतू॑ दे॒वौ म॑र्त रि॒शाद॑सा । वरु॑णाय ऋ॒तपे॑शसे दधी॒त प्रय॑से म॒हे ॥१॥
ता हि क्ष॒त्रमवि॑ह्रुतं स॒म्यग॑सु॒र्य१माशा॑ते । अध॑ व्र॒तेव॒ मानु॑षं॒ स्व१र्ण धा॑यि दर्श॒तम् ॥२॥
ता वा॒मेषे॒ रथा॑नामु॒र्वीं गव्यू॑तिमेषाम् । रा॒तह॑व्यस्य सुष्टु॒तिं द॒धृक् स्तोमै॑र्मनामहे ॥३॥
अधा॒ हि काव्या॑ यु॒वं दक्ष॑स्य पू॒र्भिर॑द्भुता । नि के॒तुना॒ जना॑नां चि॒केथे॑ पूतदक्षसा ॥४॥
तदृ॒तं पृ॑थिवि बृ॒हच्छ्र॑वए॒ष ऋषी॑णाम् । ज्र॒य॒सा॒नावरं॑ पृ॒थ्वति॑ क्षरन्ति॒ याम॑भिः ॥५॥
आ यद् वा॑मीयचक्षसा॒ मित्र॑ व॒यं च॑ सू॒रय॑: । व्यचि॑ष्ठे बहु॒पाय्ये॒ यते॑महि स्व॒राज्ये॑ ॥६॥