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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 07 Sukta 049
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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देवपत्न्यः।
१-२ अथर्वा। देवपत्नीः। १ आर्षी जगती, २ चतुष्पदा पङ्क्तिः।
दे॒वानां॒ पत्नी॑रुश॒तीर॑वन्तु नः॒ प्राव॑न्तु नस्तु॒जये॒ वाज॑सातये ।
याः पार्थि॑वासो॒ या अ॒पामपि॑ व्र॒ते ता नो॑ देवीः सु॒हवाः॒ शर्म॑ यच्छन्तु ॥१॥
उ॒त ग्ना व्य॑न्तु दे॒वप॑त्नीरिन्द्रा॒ण्य॑१ग्नाय्य॒श्विनी॒ राट्।
आ रोद॑सी वरुणा॒नी शृ॑णोतु॒ व्यन्तु॑ दे॒वीर्य ऋ॒तुर्जनी॑नाम्॥२॥