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Atharvaveda Shaunaka Samhita – Kanda 07 Sukta 025
By Dr. Sachchidanand Pathak, U.P. Sanskrit Sansthan, Lucknow, India.
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विष्णुः।
१-२ मेधातिथिः। विष्णुः, वरुणः। त्रिष्टुप्।
ययो॒रोज॑सा स्कभि॒ता रजां॑सि॒ यौ वीर्यौऽर्वी॒रत॑मा॒ शवि॑ष्ठा ।
यौ पत्ये॑ते॒ अप्र॑तीतौ॒ सहो॑भि॒र्विष्णु॑मग॒न् वरु॑णं पू॒र्वहू॑तिः ॥१॥
यस्ये॒दं प्र॒दिशि॒ यद् वि॒रोच॑ते॒ प्र चान॑ति॒ वि च॒ चष्टे॒ शची॑भिः ।
पु॒रा दे॒वस्य॒ धर्म॑णा॒ सहो॑भि॒र्विष्णु॑मग॒न् वरु॑णं पू॒र्वहू॑तिः ॥२॥