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Rigveda – Shakala Samhita – Mandala 05 Sukta 086
A
A+
भौमोऽत्रिः।इन्द्राग्नी। अनुष्टुप्, ६ विराट् पूर्वा।
इन्द्रा॑ग्नी॒ यमव॑थ उ॒भा वाजे॑षु॒ मर्त्य॑म् । दृ॒ळहा चि॒त् स प्र भे॑दति द्यु॒म्ना वाणी॑रिव त्रि॒तः ॥१॥
या पृत॑नासु दु॒ष्टरा॒ या वाजे॑षु श्र॒वाय्या॑ । या पञ्च॑ चर्ष॒णीर॒भी॑न्द्रा॒ग्नी ता ह॑वामहे ॥२॥
तयो॒रिदम॑व॒च्छव॑स्ति॒ग्मा दि॒द्युन्म॒घोनो॑: । प्रति॒ द्रुणा॒ गभ॑स्त्यो॒र्गवां॑ वृत्र॒घ्न एष॑ते ॥३॥
ता वा॒मेषे॒ रथा॑नामिन्द्रा॒ग्नी ह॑वामहे । पती॑ तु॒रस्य॒ राध॑सो वि॒द्वांसा॒ गिर्व॑णस्तमा ॥४॥
ता वृ॒धन्ता॒वनु॒ द्यून् मर्ता॑य दे॒वाव॒दभा॑ । अर्ह॑न्ता चित् पु॒रो द॒धेंऽशे॑व दे॒वावर्व॑ते ॥५॥
ए॒वेन्द्रा॒ग्निभ्या॒महा॑वि ह॒व्यं शू॒ष्यं॑ घृ॒तं न पू॒तमद्रि॑भिः ।
ता सू॒रिषु॒ श्रवो॑ बृ॒हद्र॒यिं गृ॒णत्सु॑ दिधृत॒मिषं॑ गृ॒णत्सु॑ दिधृतम् ॥६॥
इन्द्रा॑ग्नी॒ यमव॑थ उ॒भा वाजे॑षु॒ मर्त्य॑म् । दृ॒ळहा चि॒त् स प्र भे॑दति द्यु॒म्ना वाणी॑रिव त्रि॒तः ॥१॥
या पृत॑नासु दु॒ष्टरा॒ या वाजे॑षु श्र॒वाय्या॑ । या पञ्च॑ चर्ष॒णीर॒भी॑न्द्रा॒ग्नी ता ह॑वामहे ॥२॥
तयो॒रिदम॑व॒च्छव॑स्ति॒ग्मा दि॒द्युन्म॒घोनो॑: । प्रति॒ द्रुणा॒ गभ॑स्त्यो॒र्गवां॑ वृत्र॒घ्न एष॑ते ॥३॥
ता वा॒मेषे॒ रथा॑नामिन्द्रा॒ग्नी ह॑वामहे । पती॑ तु॒रस्य॒ राध॑सो वि॒द्वांसा॒ गिर्व॑णस्तमा ॥४॥
ता वृ॒धन्ता॒वनु॒ द्यून् मर्ता॑य दे॒वाव॒दभा॑ । अर्ह॑न्ता चित् पु॒रो द॒धेंऽशे॑व दे॒वावर्व॑ते ॥५॥
ए॒वेन्द्रा॒ग्निभ्या॒महा॑वि ह॒व्यं शू॒ष्यं॑ घृ॒तं न पू॒तमद्रि॑भिः ।
ता सू॒रिषु॒ श्रवो॑ बृ॒हद्र॒यिं गृ॒णत्सु॑ दिधृत॒मिषं॑ गृ॒णत्सु॑ दिधृतम् ॥६॥